अज़ीम हस्ती (महा-आत्मा) - अध्यात्म

अज़ीम हस्ती (महा-आत्मा)

हज़रत अबू सईद बिन अबुलखैर से एक शख्स ने पूछा- हज़रत साहब! मैंने सुना है कि बाज अज़ीम हस्तियां हवा में उड़कर एक मकाम से दूर के मकाम का सफर कर लेती हैं और पानी पर भी चल लेती हैं, क्या वाकई ये सच है?
उस शख्स का सवाल सुनकर हज़रत सईद ने कहा- भाई! परिंदे हवा में उड़कर दूर-दूर तक का सफर कर लेते हैं और मेंढक पानी पर चल लेता है, क्या तू परिंदों और मेंढक को अज़ीम हस्ती मान सकता है।
अज़ीम हस्ती तो वो है जिसे खुदा का कुर्ब (नज़दीकी) हासिल करने का रास्ता मालूम हो और वो उस पर चल भी रहा हो।
सवाल करने वाले शख्स ने फिर सवाल किया- हज़रत साहब! फिर खुदा का दीदार कैसे हो सकता है?
हज़रत अबू सईद ने कहा- भाई! खुदा और बंदे के बीच में कोई भी पर्दा नहीं है।
यदि पर्दा है तो सिर्फ और सिर्फ घमंड का है और दूसरे बड़े-बड़े गुनाहों का पर्दा है।
जब तक तू घमंड-ओ-गुरूर, जुल्म ज्यादती, बेइंसाफी, बेरहमी, कंजूसी और बेशर्मी-ओ-बेहयाई में मुलव्विस रहेगा और बंदों के हुकूक अदा नहीं करेगा तब तक तुझे खुदा का दीदार नहीं हो सकेगा।
जब तू अल्लाह के अहकाम के मुताबिक ज़िंदगी गुजारना शुरू कर देगा और बंदों के हक अदा करने लग जाएगा तब तू अल्लाह को अपने करीब पाएगा और फिर अपनी रूह की आंखों से उसका दीदार कर लेगा।
(स्रोत:अज्ञात)
(Foto: Courtesy www.tanishq.co.in)

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