क्या रजस्वला स्त्री महिला को मंदिर में नहीं जाना चाहिए? ( Should Menstruating Women be Not Allowed Entry into Temples?)

हमारे पूर्वजों ग्रन्थों की बहुत सी बातें आज के समय में गलत हैं। जैसे कि मान्यता है कि शाम/रात के वक्त औरत को घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से धन-वैभव देने वाली देवी लक्ष्मी नाराज होकर घर से चली जाती हैं। ये बात उस जमाने में सही थी जब electricity बिजली के बल्ब नहीं थे क्योंकि जैसे कि शाम/रात के समय झाड़ू लगाते वक्त अगर औरत के कान का सोने- चांदी आदि का बना झुमका गिर जाता था तो उसके खो जाने की संभावना बनी रहती थी अंधेरे के कारण। आज तो बल्ब हैं, इसलिए शाम/रात के समय भी औरत अपने घर में झाड़ू लगा सकती हैं। इस उदाहरण से साफ़ है कि हर पुरानी मान्यता आज के समय शायद सही ना हो।

यदि रजस्वला स्त्री महिला का मंदिर जाना ग़लत होता तो असम के कामाख्या मन्दिर में भी औरतों के जाने की मनाही होती। मग़र मनाही नहीं है। 

किसी भी जागृत मंदिर में जाने से महिला के वात, पित्त और कफ पर कोई भी दुष्परिणाम नहीं होता है। 

Is there any scientific studies establishing negative relationship between going to an Energised temple and menstruation? I don't think any such studies exist. I think visit to an Energised temple doesn't have any negative impact on a lady undergoing menstruation. Rather, such a lady shall tremendously be benefitted by visit to an Energised temple. Therefore, zealots must not try to justify wrong Sanatan practices by giving unfounded reasons. 

Positive energy present in energised temples does definitely help improve energy levels of a menstruating female. I hence recommend strongly that a lady who is menstruating must visit an Energised temple even if she hasn't taken bath. She can just wash her hands and feet, and then visit an Energised temple. 

Practice of justifying every wrong thing present in Sanatan spirituality has discouraged even rational Indians to celebrate good things present therein. Therefore, my sincere advice to zealots and all other followers of Sanatana is that avoid temptation to justify everything in the name of protecting Sanatana Dharma. 

रजस्वला स्त्री महिला को मंदिर जरूर जाना चाहिए अगर उसकी इच्छा मंदिर जाने की है तो क्योंकि किसी भी जागृत मंदिर की पॉजिटिव एनर्जी उस महिला के शरीर में ओर ज्यादा पॉजिटिव एनर्जी का ही संचार करेगी, उसकी ऊर्जा का शोषण नहीं करेगी। इसलिए, इस उचित सम्यक् तर्क से स्पष्ट है कि रजस्वला स्त्री महिला युवती का मंदिर में जाना पूरी तरह से वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सही बात है। इसलिए रजस्वला स्त्री महिला युवती बेहिचक किसी भी मंदिर में जा सकती हैं, वहाँ पूजा अर्चना कर सकती हैं।

- Dr Swaamee Aprtemaanandaa Jee

(Dr Swaamee Aprtemaanandaa Jee's Yoga-Secrets-Revealed Series - 83) 

(The writer is a Scientific Healer, yoga-Practitioner, Yoga and Spiritual Master, Research Scientist, Gynaecologist, Epidemiologist, citizen-Economist, and well known for informative analytical pieces on Healing, Spirituality, Yoga, Fitness, Health, Medicine, Ayurveda, Science, Economics, and Politics)




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