पूरी नदी बह जाने का इंतज़ार (अध्यात्म - प्रेरक कथा)

एक फकीर नदी के किनारे बैठा था, एक व्यक्ति ने पूछा- बाबा! क्या कर रहे हो?
फकीर ने कहा- इंतजार कर रहा हूं, कि पूरी नदी बह जाए तो फिर इसे पार करूं।
उस व्यक्ति ने कहा- कैसी बात करते हो बाबा! पूरा जल बहने के इंतजार में तो तुम कभी भी नदी को पार ही नहीं कर पाओगे।
फकीर ने कहा- यही तो मैं तुम लोगों को समझाना चाहता हूं, कि तुम लोग जो सदा यही कहते रहते हो कि एक बार जीवन की जिम्मेदारियां पूरी हो जाएं तो मौज करूंगा, घूमूंगा-फिरूंगा, सबसे मिलूंगा, सेवा करूंगा और फिर परमात्मा का नाम और भजन-सिमरन करूंगा। अरे भाई! जैसे इस नदी का जल कभी भी खत्म नहीं होगा और हमको हर हाल में इस जल से ही पार जाने का रास्ता बनाना है, इसी प्रकार ये जीवन भी खत्म हो जाएगा पर जीवन के काम खत्म नहीं होंगे तो फिर हम उस परमात्मा का नाम और भजन-सिमरन कब करेंगे। सोचो भाई! सोचो।

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