"बंधु आवेश जी आपकी जितनी तारीफ की जाए उतनी ही कम है! आप के रूप में ऊपर वाले ने हमें इक्कीसवीं सदी का रहीम दिया है! आपक मार्मिक जनकविता की पंक्तियाँ ह्रदय को छू गईं, जनपीडा सहज कह गईं, नयनों से अश्रुधाराएं बह गईं...! मुझे ताजजुब हो रहा है कि डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी, आप और शरदेंदु शुक्ला शरद जैसे अप्रतिम कवियों की कविताओं को विद्यालयों, काॅलेजों और विद्यापीठों के हिंदी साहित्य के पाठ्यक्रमों में आज क्यों नहीं पढाया जा रहा है!शायद इसलिए कि आप तीनों धुरंधर खुददार हैं और किसी प्रशासनिक अधिकारी के तलवे नहीं चाटते हैं! हकीकत तो यह है कि आप तीनों का अप्रतिम काव्य वर्तमान भारतवर्ष की जनआकांक्षाओं का जोरदार सटीक प्रतिबिंब हैं...! क्या मानवीय संसाधन मंत्री निशांक पोखरीयाल भी इस बात को समझ रहे हैं? " ������ - स्वामी मूर्खानंद
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आपक मार्मिक जनकविता की पंक्तियाँ ह्रदय को छू गईं, जनपीडा सहज कह गईं, नयनों से अश्रुधाराएं बह गईं...!
मुझे ताजजुब हो रहा है कि डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी, आप और शरदेंदु शुक्ला शरद जैसे अप्रतिम कवियों की कविताओं को विद्यालयों, काॅलेजों और विद्यापीठों के हिंदी साहित्य के पाठ्यक्रमों में आज क्यों नहीं पढाया जा रहा है!शायद इसलिए कि आप तीनों धुरंधर खुददार हैं और किसी प्रशासनिक अधिकारी के तलवे नहीं चाटते हैं!
हकीकत तो यह है कि आप तीनों का अप्रतिम काव्य वर्तमान भारतवर्ष की जनआकांक्षाओं का जोरदार सटीक प्रतिबिंब हैं...! क्या मानवीय संसाधन मंत्री निशांक पोखरीयाल भी इस बात को समझ रहे हैं? "
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