मिट्टी के खिलौनों के कान में (प्रेरणा दायक आध्यात्मिक लघु कहानी)

एक बार एक राजा नगर भ्रमण को गया तो रास्ते में वो देखता है कि एक छोटा बच्चा मिट्टी के खिलौनों के कान में कुछ कहता है और फिर तोड़ कर उन्हें वापस मिट्टी में मिला देता है। राजा को बड़ा अचरज हुआ तो उसने बच्चे से पूछा- बेटा! तुम ये सब क्या कर रहे हो?

बच्चे ने जवाब दिया- "मैं इनसे पूछता हूं कि कभी राम नाम जपा? और फिर मिट्टी को मिट्टी में मिला रहा हूं।"

राजा ने सोचा कि इतना छोटा सा बच्चा और इतनी ज्ञान की बात! फिर उसने बच्चे से पूछा- "बेटा! क्या तुम मेरे साथ मेरे राजमहल में रहोगे?"

तो बच्चे ने कहा- "जरुर रहूंगा, पर मेरी चार शर्ते हैं:

1) जब मैं भोजन खाऊं तब आपको भूखा रहना पड़ेगा।

2) जब मैं कपड़े पहनूं तब आपको नग्न रहना पड़ेगा।

3) जब मैं सोऊं तब आपको जागना पड़ेगा।

4) जब कभी भी मैं किसी मुसीबत में होऊं तो आपको अपने सारे काम छोड़कर मेरे पास आना पड़ेगा।

अगर आपको मेरी ये शर्तें मंजूर हैं, तो मैं आपके साथ राजमहल में चलने को तैयार हूं।"

राजा ने कहा- "ये तो असंभव हैं!"

तो बच्चे ने कहा- "राजन! तब मैं अपने उस परमात्मा का आसरा छोड़कर आपके आसरे क्यूं रहूं, जो खुद भूखा रहकर भी मुझे खिलाता है, खुद नग्न रहकर भी मुझे पहनाता है, खुद जागता है और मैं निश्चिंत होकर सोता हूं और जब कभी भी मैं किसी मुश्किल या मुसीबत में होता हूं तो वो बिना बुलाए ही मेरे लिए अपने सारे काम छोड़कर दौड़ा चला आता है।"

सीख

भाव केवल इतना ही है कि हम लोग सब कुछ जानते और समझते हुए भी बेकार के विषय-विकारों में उलझकर अपने परमात्मा को, यहां तक कि उसके नाम को ही भुलाए बैठे हैं, जो हमारी हर एक पल संभाल कर रहा है।

(स्रोत: सर्वाधिक प्रचारित लोकप्रिय भारतीय जनसाहित्य) 

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