अरविन्द केजरीवाल ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी से पूरी तरह डर गया है। डरे भी क्यों न, ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी ने अरविन्द केजरीवाल और उसकी पर्सनल प्रॉपर्टी आम आदमी पार्टी की नाक में नकेल जो कस दी है।
डर, प्रेरणा या महज़ नक़ल ?
(१ ) बतौर मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण करने के बाद अरविन्द केजरीवाल ने कई सरकारी महकमे खुद के पास रख लिये थे। मगर जब ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी ने अपने इस ऑफिशियल ब्लॉग पे अरविन्द केजरीवाल को यह नसीहत दी कि होना तो यह चाहिए था कि वह सभी महकमे आम आदमी पार्टी के दूसरे मेम्ब्रान को सौंपता और खुद बतौर मार्गदर्शक रहबर काम करता तो अरविन्द केजरीवाल ने फौरन इस पर अमल किया और अब उसके पास कोई भी मंत्रालय नहीं है!
हाँ, हुकूमत का लालच तो वह फिर भी नहीं छोड़ पाया है। तभी तो वह अभी भी मुख्यमंत्री के पद से चिपटा हुआ है!
(२) जब ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी ने अपने इस ऑफिशियल ब्लॉग पे लिखा कि उनके पार्टी संयोजक बतौर मार्गदर्शक रहबर काम कर रहे हैं और पार्टी के दूसरे मेम्ब्रान ख़ासकर नौजवानों को आगे बढ़ा रहें हैं तब फौरन अरविन्द केजरीवाल और उसके आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों [STRATEGISTS] ने ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी के इस आईडीआ को भी चुरा लिया।
अब अरविन्द केजरीवाल और उसके आम आदमी पार्टी के रणनीतिकार यह कह रहे हैं कि वे पार्टी के ६० विधायकों को ६ मन्त्रियों के साथ जोड़ कर आगे बढ़ाएंगे और आम आदमी पार्टी अपनी ही दिल्ली सरकार के साथ COMPLEMENT [पूरक] व COMPETITION [प्रतिस्पर्धा] की नीति अपना कर ख़ुद के ही मंत्रियों के कामकाज़ को दुरुस्त बनाये रखेगी।
सच तो यह है कि यह नीति इसलिए बनाई गई है ताकि जब ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी कोई अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की कमियाँ जगजाहिर कर दे तब आम आदमी पार्टी यह कह कर अरविन्द केजरीवाल का बचाव करेगी ,"..देखिये बहन जी और भाई साहेब, ऐसा तो हमारी पार्टी पहले ही कह चुकी है!"
एक दूसरा डर भी अरविन्द केजरीवाल को सता रहा है कि कहीं आम आदमी पार्टी के ईमानदार विधायक और दूसरे मेम्ब्रान आम आदमी पार्टी का दामन छोड़ कर ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी में शामिल न हो जाएं। सो , जब आम आदमी पार्टी का कोई ईमानदार असंतुष्ट विधायक आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार की खामियाँ बताएगा तो अरविन्द केजरीवाल सामने तो उस विधायक की बड़ाई करेगा, मगर पीठ पीछे उस विधायक का नाम उस 'असंतुष्ट विधायकों की लिस्ट' में डाल देगा जिन विधायकों के ऊपर कड़ी निगरानी इस बात के लिये रखी जाएगी कि कहीं ये विधायक आम आदमी पार्टी छोड़ कर ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी में शामिल न हो जाएं।
अगर अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी और इसके रहनुमा से कोई प्रेरणा ली होती तो अभी तक अरविन्द केजरीवाल जाती तौर पे ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी से मिलता और उससे सलाह मशवरा लेता। मगर ऐसा नहीं है। तो सच क्या है? तो सच यही है कि अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी बुरी तरह और पूरी तरह ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी से डरी हुई है.....!
अरविन्द केजरीवाल और उसके आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों [STRATEGISTS] ने ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी के बहुत आईडीआज को चुराया है, मसलन:
(१) 'आम आदमी पार्टी' नाम और नारा 'मैं हूँ आम आदमी' स्वामी अप्रतिमानन्दा जी की कविता 'हाँ मैं आम हूँ' से चुराया गया है।
(२) जब ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी ने सोशल मिडिया में जाहिर किया कि यह पार्टी हरयाणा विधान चुनाव की बजाय दिल्ली के विधान सभा चुनाव पर पूरा ज़ोर लगाएगी तब अरविन्द केजरीवाल और उसके आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों ने इस आईडिया को चुरा लिया और हरयाणा विधान चुनाव की बजाय दिल्ली के विधान सभा चुनाव पर पूरा ज़ोर लगाने की रणनीति बना ली।
हम अरविन्द केजरीवाल और उसके आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों के द्वारा की गई आइडियाज की चोरी की बात इसलिए उठा रहें हैं क्योंकि इसी आम आदमी पार्टी ने पीछे भाजपा पर आम आदमी पार्टी के आइडियाज की चोरी करने के इल्ज़ाम लगाये थे।
हम तो अभी भी नहीं कह रहें हैं कि अरविन्द केजरीवाल और उसके आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों ने हमारे आईडियाज को चुरा लिया है....!
मगर हम यह बात ज़रूर पूरे दावे के साथ कहेंगे कि हमारे इस ब्लॉग को पढ़ने के बाद अरविन्द केजरीवाल और उसके आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों की रातों की नींद ज़रूर उड़ जाएगी...!
डर, प्रेरणा या महज़ नक़ल ?
(१ ) बतौर मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण करने के बाद अरविन्द केजरीवाल ने कई सरकारी महकमे खुद के पास रख लिये थे। मगर जब ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी ने अपने इस ऑफिशियल ब्लॉग पे अरविन्द केजरीवाल को यह नसीहत दी कि होना तो यह चाहिए था कि वह सभी महकमे आम आदमी पार्टी के दूसरे मेम्ब्रान को सौंपता और खुद बतौर मार्गदर्शक रहबर काम करता तो अरविन्द केजरीवाल ने फौरन इस पर अमल किया और अब उसके पास कोई भी मंत्रालय नहीं है!
हाँ, हुकूमत का लालच तो वह फिर भी नहीं छोड़ पाया है। तभी तो वह अभी भी मुख्यमंत्री के पद से चिपटा हुआ है!
(२) जब ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी ने अपने इस ऑफिशियल ब्लॉग पे लिखा कि उनके पार्टी संयोजक बतौर मार्गदर्शक रहबर काम कर रहे हैं और पार्टी के दूसरे मेम्ब्रान ख़ासकर नौजवानों को आगे बढ़ा रहें हैं तब फौरन अरविन्द केजरीवाल और उसके आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों [STRATEGISTS] ने ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी के इस आईडीआ को भी चुरा लिया।
अब अरविन्द केजरीवाल और उसके आम आदमी पार्टी के रणनीतिकार यह कह रहे हैं कि वे पार्टी के ६० विधायकों को ६ मन्त्रियों के साथ जोड़ कर आगे बढ़ाएंगे और आम आदमी पार्टी अपनी ही दिल्ली सरकार के साथ COMPLEMENT [पूरक] व COMPETITION [प्रतिस्पर्धा] की नीति अपना कर ख़ुद के ही मंत्रियों के कामकाज़ को दुरुस्त बनाये रखेगी।
सच तो यह है कि यह नीति इसलिए बनाई गई है ताकि जब ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी कोई अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की कमियाँ जगजाहिर कर दे तब आम आदमी पार्टी यह कह कर अरविन्द केजरीवाल का बचाव करेगी ,"..देखिये बहन जी और भाई साहेब, ऐसा तो हमारी पार्टी पहले ही कह चुकी है!"
एक दूसरा डर भी अरविन्द केजरीवाल को सता रहा है कि कहीं आम आदमी पार्टी के ईमानदार विधायक और दूसरे मेम्ब्रान आम आदमी पार्टी का दामन छोड़ कर ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी में शामिल न हो जाएं। सो , जब आम आदमी पार्टी का कोई ईमानदार असंतुष्ट विधायक आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार की खामियाँ बताएगा तो अरविन्द केजरीवाल सामने तो उस विधायक की बड़ाई करेगा, मगर पीठ पीछे उस विधायक का नाम उस 'असंतुष्ट विधायकों की लिस्ट' में डाल देगा जिन विधायकों के ऊपर कड़ी निगरानी इस बात के लिये रखी जाएगी कि कहीं ये विधायक आम आदमी पार्टी छोड़ कर ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी में शामिल न हो जाएं।
अगर अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी और इसके रहनुमा से कोई प्रेरणा ली होती तो अभी तक अरविन्द केजरीवाल जाती तौर पे ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी से मिलता और उससे सलाह मशवरा लेता। मगर ऐसा नहीं है। तो सच क्या है? तो सच यही है कि अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी बुरी तरह और पूरी तरह ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी से डरी हुई है.....!
अरविन्द केजरीवाल और उसके आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों [STRATEGISTS] ने ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी के बहुत आईडीआज को चुराया है, मसलन:
(१) 'आम आदमी पार्टी' नाम और नारा 'मैं हूँ आम आदमी' स्वामी अप्रतिमानन्दा जी की कविता 'हाँ मैं आम हूँ' से चुराया गया है।
(२) जब ऑल इंडिया इन्सानियत पार्टी ने सोशल मिडिया में जाहिर किया कि यह पार्टी हरयाणा विधान चुनाव की बजाय दिल्ली के विधान सभा चुनाव पर पूरा ज़ोर लगाएगी तब अरविन्द केजरीवाल और उसके आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों ने इस आईडिया को चुरा लिया और हरयाणा विधान चुनाव की बजाय दिल्ली के विधान सभा चुनाव पर पूरा ज़ोर लगाने की रणनीति बना ली।
हम अरविन्द केजरीवाल और उसके आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों के द्वारा की गई आइडियाज की चोरी की बात इसलिए उठा रहें हैं क्योंकि इसी आम आदमी पार्टी ने पीछे भाजपा पर आम आदमी पार्टी के आइडियाज की चोरी करने के इल्ज़ाम लगाये थे।
हम तो अभी भी नहीं कह रहें हैं कि अरविन्द केजरीवाल और उसके आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों ने हमारे आईडियाज को चुरा लिया है....!
मगर हम यह बात ज़रूर पूरे दावे के साथ कहेंगे कि हमारे इस ब्लॉग को पढ़ने के बाद अरविन्द केजरीवाल और उसके आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों की रातों की नींद ज़रूर उड़ जाएगी...!
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