कोरा कागज - कहानी (अध्यात्म)


एक स्त्री थी। वह एक गुरू के पास आई। वह विदुषी थी और मशहूर भी थी उन गुरू से भी ज्यादा! 

सारे शास्त्र उसे कंठस्थ थे। समस्या यह थी कि सभी शास्त्र कंठस्थ होने के बावजूद भी वो सत्य की खोज नहीं कर सकी थी। 

ऐसे में जीवन के अंतिम क्षणों में उसने गुरू की तलाश शुरू की। संयोग से गुरू मिल गए और वह उनकी शरण में जा पहुंची।

गुरू ने विदुषी की तरफ देखा और कहा,"तुम लिख लाओ कि तुम क्या-क्या जानती हो, तुम जो भी जानती हो, फिर उसकी क्या बात करनी है। और तुम जो नहीं जानती हो वो तुम्हें मैं बता दूंगा।"

विदुषी को वापस आने में एक साल भर लग गया क्योंकि उसे तो बहुत शास्त्र याद थे और वह सब लिखती ही रही, लिखता ही रही। 

कई हजार पृष्ठ भर गए। पोथी लेकर वो गुरु के पास आई।

गुरू ने फिर कहा,'यह बहुत ज्यादा है। मैं बूढ़ा हो गया हूं। मेरी मृत्यु करीब है। मैं इतना नहीं पढ़ सकूंगा। तुम इसे संक्षिप्त कर लाओ। इसका सार लिख लाओ।"

विदुषी फिर चला गयी। तीन महीने लग गए। अब केवल सौ पृष्ठ थे और वो गुरु के पास ले आई।

गुरू ने कहा,"यह भी ज्यादा है। इसे ओर संक्षिप्त कर लाओ।"

कुछ समय बाद वह विदुषी लौटी। एक ही पन्ने पर सार-सूत्र लिख लाई थी।

गुरू बिल्कुल मरने के करीब थे। 

उन्होंने कहा,"तुम्हारे लिए ही रूका हूं। तुम्हें समझ कब आएगी? और संक्षिप्त कर लाओ!"

विदुषी को होश आया। भागकर दूसरे कमरे से एक कोरा कागज ले आई और गुरू के हाथ में वो कोरा कागज पकड़ा दिया।

गुरू ने यह कह कर प्राण त्याग दिये,"अब तुम शिष्य हुई!...मुझ से तुम्हारा संबंध सदैव ही बना रहेगा! 

...मैं अंतर में तुम्हें दर्शन देता रहूंगा। 

...तुम्हारे अंत समय परमात्मा मेरे रूप में प्रकट हो कर तुम्हारी आत्मा को सत्य लोक में ले जायेगा! सदैव के लिए तुम्हारी आत्मा को मुक्ति मिल जायेगी!"

 

कहानी से सीख

कोरा कागज लाने का अर्थ यह हुआ कि "मुझे कुछ भी नहीं पता, मैं अज्ञानी हूं! मेरे गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण ही सच्चा ज्ञान है।" और जो ऐसे भाव गुरु के पास रख सके, वही शिष्य है! 

गुरू तो ज्ञान-प्राप्ति का प्रमुख स्त्रोत है। उसे अज्ञानी बनकर ही हासिल किया जा सकता है। 

विदुषी या विद्वान बनने से गुरू नहीं मिलते हैं।

ज्ञान हमेशा झुक कर ही विनम्रता से हासिल किया जा सकता है...! 


प्रस्तुतिकर्ति:                     

सुश्री सुजाता कुमारी, सर्वोपरि संपादिका एवम् प्रभारी सम्पादकीय इकाई (आत्मीयता पत्रिका) 

X - @sujatakumarika

(स्रोत: सर्वाधिक प्रचारित लोकप्रिय भारतीय जनसाहित्य और इंटरनेट, सोशल मीडिया, व्हाट्सएप्प, एक्स पर मुफ़्त में उपलब्ध छायाचित्र, चलचित्रिका और अन्य सामग्री)






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