पिछले पांच सालों में दिल्ली की सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में जो सुधार किया है उसमें ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
चौंकिये मत! यही सच है।
विश्वास न हो तो साल 2014 से साल 2019 तक ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी और आम आदमी पार्टी की टविटों को उठा कर देख लीजिए। आपको इस हकीकत का अपने आप पता चल जायेगा।
सत्ता में आते ही, आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हाथ धो कर प्राइवेट स्कूलों के पीछे पड़ गए थे। कभी वे इन प्राइवेट स्कूलों को ली जा रही ज्यादा फीस के लिए आडे हाथ ले रहे थे तो कभी उनकी एडमिशन प्रक्रिया में दखलंदाजी कर रहे थे। यानी कुल मिलाकर आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद का ध्यान केवल और केवल प्राइवेट स्कूलों पर ही था। वे दिल्ली के सरकारी स्कूलों की दुर्दशा पर रत्ती भर भी ध्यान नहीं दे रहे थे।
ऐसे में ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी ने हिम्मत दिखाई। इस पार्टी ने उक्त मामले में सोशल मीडिया पर ट्विटर Twitter और बलाॅग blog के माध्यम से अति प्रभावशाली ढंग से आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जम कर खिंचाई की। उन्हें बार बार टविटस भेज कर (आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को) ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी ने आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चेताया कि दिल्ली सरकार प्राइवेट स्कूलों का पीछा छोड़ कर अपने खुद के सरकारी स्कूलों की दुर्दशा को समाप्त कर दिल्ली क्षेत्र में शिक्षा का स्तर सुधारे। ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से बनाए गए अप्रतिम जनदबाव के आगे झुक कर ही आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्राइवेट स्कूलों के पीछे पड़ कर समय बरबाद करने की बजाय दिल्ली के सरकारी स्कूलों को सुधारने पर अपना पूरा ध्यान, समय,ऊर्जा और संसाधन केंद्रित कर दिए। सुखद नतीजा सबके सामने है - दिल्ली के सरकारी स्कूलों का जीर्णोद्धार हो गया है, 20000 नये क्लास रूमों का निर्माण हुआ जिसमें से 8000 उपयोग में आ गए हैं, शिक्षा के स्तर में इतना अधिक सुधार हुआ है कि लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकाल कर उन्हें दिल्ली के सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलवा रहे हैं (1.3 लाख बच्चे प्राइवेट स्कूलों से दिल्ली के सरकारी स्कूलों में दाखिल हुए), पांच नए स्कूल-भवनों का निर्माण हुआ (30 का निर्माण जारी है), केंद्रीय सरकार द्वारा जारी किए गए मूलभूत शिक्षा के आंकड़ों के अनुसार 2015-16 से लेकर 2018-19 तक दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 6000 विद्यार्थियों का इजाफा हुआ, आदि।
यद्यपि भाजपा केप्रवक्ता हरीश खुराना ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार के 763 स्कूलों में प्रधानाचार्य के पद रिक्त हैं और मात्र 30% स्कूलों में ही विज्ञान पढाया जाता है तथापि
दिल्ली सरकार द्वारा (सीमित अधिकारों के बावजूद) शिक्षा के क्षेत्र में किए गए अभूतपूर्व सुधारों के लिए आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया वास्तव मे ही प्रशंसा और धन्यवाद के सुपात्र हैं।
सुशिक्षित और सुसंस्कृत विधार्थी ही विश्व-शांति की सुदृढ़ नींव हैं...!
यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि बिना विपक्षी दलों द्वारा बनाए गए राजनैतिक जनदबाव के सत्ता-पक्ष अधिकतर मामलों में जनहित के सुझावों को नजरअंदाज कर देता है। कहावत भी है - "यदि भूखा शिशु न रोए तो माँ भी भूखे शिशु को दूध नहीं पिलाती।" फिर यह तो ठहरी सत्ता रूपेण माँ की भी माँ...!
इस संक्षेप आलेख से बात साफ समझ में आ जानी चाहिए कि ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी जैसे छोटे छोटे, किंतु जुझारू और जनहित लोक कल्याण के लिए समर्पित दलों की भारतीय राजनीति में बहुत ही बड़ी भूमिका है...!
- डॉ स्वामी अप्रतिमनंदा जी
(लेखक जनअर्थशास्त्री, भूगोलवेत्ता, राजनीतिक वैज्ञानिक/विशलेषक, योग/आयुर्वेद/अध्यात्मिक अनुसंधानकर्ता हैं)
(सौजन्य: https://www.worldpeaceglobalthinktank.com
चौंकिये मत! यही सच है।
विश्वास न हो तो साल 2014 से साल 2019 तक ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी और आम आदमी पार्टी की टविटों को उठा कर देख लीजिए। आपको इस हकीकत का अपने आप पता चल जायेगा।
सत्ता में आते ही, आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हाथ धो कर प्राइवेट स्कूलों के पीछे पड़ गए थे। कभी वे इन प्राइवेट स्कूलों को ली जा रही ज्यादा फीस के लिए आडे हाथ ले रहे थे तो कभी उनकी एडमिशन प्रक्रिया में दखलंदाजी कर रहे थे। यानी कुल मिलाकर आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद का ध्यान केवल और केवल प्राइवेट स्कूलों पर ही था। वे दिल्ली के सरकारी स्कूलों की दुर्दशा पर रत्ती भर भी ध्यान नहीं दे रहे थे।
ऐसे में ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी ने हिम्मत दिखाई। इस पार्टी ने उक्त मामले में सोशल मीडिया पर ट्विटर Twitter और बलाॅग blog के माध्यम से अति प्रभावशाली ढंग से आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जम कर खिंचाई की। उन्हें बार बार टविटस भेज कर (आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को) ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी ने आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चेताया कि दिल्ली सरकार प्राइवेट स्कूलों का पीछा छोड़ कर अपने खुद के सरकारी स्कूलों की दुर्दशा को समाप्त कर दिल्ली क्षेत्र में शिक्षा का स्तर सुधारे। ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से बनाए गए अप्रतिम जनदबाव के आगे झुक कर ही आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्राइवेट स्कूलों के पीछे पड़ कर समय बरबाद करने की बजाय दिल्ली के सरकारी स्कूलों को सुधारने पर अपना पूरा ध्यान, समय,ऊर्जा और संसाधन केंद्रित कर दिए। सुखद नतीजा सबके सामने है - दिल्ली के सरकारी स्कूलों का जीर्णोद्धार हो गया है, 20000 नये क्लास रूमों का निर्माण हुआ जिसमें से 8000 उपयोग में आ गए हैं, शिक्षा के स्तर में इतना अधिक सुधार हुआ है कि लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकाल कर उन्हें दिल्ली के सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलवा रहे हैं (1.3 लाख बच्चे प्राइवेट स्कूलों से दिल्ली के सरकारी स्कूलों में दाखिल हुए), पांच नए स्कूल-भवनों का निर्माण हुआ (30 का निर्माण जारी है), केंद्रीय सरकार द्वारा जारी किए गए मूलभूत शिक्षा के आंकड़ों के अनुसार 2015-16 से लेकर 2018-19 तक दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 6000 विद्यार्थियों का इजाफा हुआ, आदि।
यद्यपि भाजपा केप्रवक्ता हरीश खुराना ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार के 763 स्कूलों में प्रधानाचार्य के पद रिक्त हैं और मात्र 30% स्कूलों में ही विज्ञान पढाया जाता है तथापि
दिल्ली सरकार द्वारा (सीमित अधिकारों के बावजूद) शिक्षा के क्षेत्र में किए गए अभूतपूर्व सुधारों के लिए आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया वास्तव मे ही प्रशंसा और धन्यवाद के सुपात्र हैं।
सुशिक्षित और सुसंस्कृत विधार्थी ही विश्व-शांति की सुदृढ़ नींव हैं...!
यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि बिना विपक्षी दलों द्वारा बनाए गए राजनैतिक जनदबाव के सत्ता-पक्ष अधिकतर मामलों में जनहित के सुझावों को नजरअंदाज कर देता है। कहावत भी है - "यदि भूखा शिशु न रोए तो माँ भी भूखे शिशु को दूध नहीं पिलाती।" फिर यह तो ठहरी सत्ता रूपेण माँ की भी माँ...!
इस संक्षेप आलेख से बात साफ समझ में आ जानी चाहिए कि ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी जैसे छोटे छोटे, किंतु जुझारू और जनहित लोक कल्याण के लिए समर्पित दलों की भारतीय राजनीति में बहुत ही बड़ी भूमिका है...!
- डॉ स्वामी अप्रतिमनंदा जी
(लेखक जनअर्थशास्त्री, भूगोलवेत्ता, राजनीतिक वैज्ञानिक/विशलेषक, योग/आयुर्वेद/अध्यात्मिक अनुसंधानकर्ता हैं)
(सौजन्य: https://www.worldpeaceglobalthinktank.com
Comments