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क्या माननीय श्री राजनाथसिंह जी , अमित शाह जी , अरुण जेटली जी और नरेंद्र मोदी जी तथा इनकी सरकार कस्टम्स विभाग के शातिर वरिष्ठ अधिकारियों के इशारों पर नाच रही है?
क्या माननीय श्री राजनाथसिंह जी , अमित शाह जी , अरुण जेटली जी और नरेंद्र मोदी जी तथा इनकी सरकार कस्टम्स विभाग के शातिर वरिष्ठ अधिकारियों के इशारों पर नाच रही है?
जांबाज बहादुर कस्टम्स इंस्पेक्टर श्री शेर सिंह परमार को आज से 27 साल पहले ही वर्ष 1991 में जनवरी में (विषम परिस्थितियों में ढ़ाई करोड़ की तस्करी की चाँदी पकड़ने में अप्रतिम महावीरता दिखलाने और मुख्य भूमिका निभाने के लिए - वह भी बिना किसी
औपचारिक प्रशिक्षण के और महज़ एक साल ही नौकरी में पूरे हुये थे) अशोक चक्र से सम्मानित किया जाना चाहिए था , कम से कम 25 लाख रूपये का ईनाम दिया जाना चाहिए था , और इंस्पेक्टर रैंक से सुपरिंटेंडेंट के पद पर पदोन्नति दी जानी चाहिये थी। वह तो कस्टम्स विभाग के शातिर वरिष्ठ अधिकारियों ने किया ही नहीं। उल्टे उन्हीं को उल्टा लटकाने और हतोत्साहित करने हेतु उनके ख़िलाफ़ फ़िजूल के तकनीकी कारण से विजिलेंस इन्क्वायरी शुरू कर दी ताकि उन्हें कोई ईनाम / तमगा न मिले। तंग आ कर उन्होंने वर्ष 2001 में नौकरी छोड़ दी। कस्टम्स विभाग के शातिर वरिष्ठ अधिकारी इसी मौके की तलाश में थे जिन्हें शेर सिंह परमार की गैर मौजूदगी में अब अन्याय करने से रोकने देना आसान नहीं था। फिर भी शेर सिंह परमार ने न्याय की लड़ाई जारी रखी जिससे मजबूर हो कस्टम्स विभाग को ईनाम देने का फैसला लेना पड़ा। परंतु , कस्टम्स विभाग के इन शातिर वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी मनमानी करते हुये उनकी, विषम परिस्थितियों में ढ़ाई करोड़ की तस्करी की चाँदी पकड़ने में अप्रतिम महावीरता दिखलाने और मुख्य भूमिका को नजरअंदाज करते हुये साल 2006 में शेर सिंह परमार को नीचा दिखाने हेतु सिपाही से 4 हज़ार रूपये कम ईनाम (९५,००० ) दे पूरे भारत को धोखा दे दिया। कस्टम्स विभाग में सभी कर्मठ कर्मचारियों को इस पर अफ़सोस हुआ। मगर सब इन शातिर वरिष्ठ अधिकारियों के आगे बेबस थे। केंद्र में उस समय राहुल गाँधी जी की कांग्रेस सरकार थी। वर्ष २०१४ में श्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने पर शेर सिंह परमार को न्याय मिलने की शत - प्रतिशत आशा जागी थी। परंतु, नरेंद्र मोदी सरकार भी कस्टम्स विभाग के इन शातिर वरिष्ठ अधिकारियों के बहकावे में आ कर जानबूझ कर शेर सिंह परमार की अवहेलना कर रही है , उन्हें न्याय नहीं दिलवा रही है। ऊपर से तुर्रा यह कि नरेंद्र मोदी की सरकार स्वयं को सच्चे महावीरों का सम्मान करने वाली सरकार बता कर ख़ुद की पीठ थपथपा रही है। लगता है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक सँघ के सम्माननीय आकाओं को भी शेर सिंह परमार जैसे महावीर देशभक्तों को न्याय दिलाने में कोई दिलचस्पी नहीं है ! जांबाज बहादुर कस्टम्स इंस्पेक्टर श्री शेर सिंह परमार को न्याय न दिलवा कर नरेंद्र मोदी की सरकार भी अब राहुल गाँधी जी की कांग्रेस सरकार की तरह ही भारत राष्ट्र के साथ ही अन्याय करने का घोर पाप कर रही है। हम आशा करते हैं कि नरेंद्र मोदी की सरकार जागेगी और, जांबाज बहादुर कस्टम्स इंस्पेक्टर श्री शेर सिंह परमार को न्याय दिलवा कर, इस हो रहे घोर पाप से बचेगी!
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