कोल्हापुर छात्रावास में रैगिंग का मामला - दलितों पर हिंसा? ( KOLHAPUR RAGGING OF STUDENTS - ATROCITY ON SC ST COMMUNITY?)
क्या बिना जाँच किये और बिना किसी सबूत के X और अन्य सोशल मीडिया पर किसी भी मुद्दे को SC ST दलित का मुद्दा बनाना सही है?
भारतीय हॉस्टलों में रैगिंग आम है।
पिछले दिनों सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में कोल्हापुर के तलसांडे स्थित श्रमराव पाटिल कॉलेज के छात्रावास में वरिष्ठ छात्रों को बेल्ट, बैट और लात-घूंसों से बड़ी बेरहमी से छोटे बच्चों (12-13 वर्ष की आयु के) पर हमला करते हुए दिखाया गया है।
बिना जाँच किये और बिना किसी सबूत के सोशल मीडिया के धुरंधरों ने इसे SC ST का मुद्दा बना दिया।
बिना जाँच किये और बिना किसी सबूत के इसे SC ST का मुद्दा बनाना सरासर गलत है।
बिना जाँच किये और बिना किसी सबूत के X और अन्य सोशल मीडिया पर इसे SC ST का मुद्दा बनाना विभिन्न समुदायों के बीच विभाजन को बढ़ावा देती हैं।
इसे SC ST का मुद्दा बनाने से पहले ये देखना चाहिए कि क्या ये केवल रैगिंग का ही मामला है या सच में ही SC ST पर अत्याचार का?
हर बात को दलित विरोधी बता देना सरासर गलत है।
इस मामले में निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए।
अगर जाति का एंगल सामने आता है तो दोषी छात्रों को SC ST ACT के तहत सजा दी जाए।
रैगिंग गलत है, दंडनीय अपराध है। इसके खिलाफ पहले से ही भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 में कानून बना हुआ है।
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि दलितों में भी एक ऐसी उग्र चरम पंथी अंध भक्तों की जमात पैदा हो गई है जो हर सामान्य घटना में भी दलित पर तथा कथित हुए काल्पनिक अत्याचार को ढूँढते हैं।
यह ऐसे ही है जैसे गोदी अंध भक्तों की जमात हर बात में हिंदू - मुस्लिम वैमनस्य ढूँढती है। हर मस्जिद के नीचे मन्दिर के अवशेष ढूँढती है।
इस लेख में उल्लेखित वीडियो में स्थानीय समाचारों में इस घटना को अनुशासनात्मक हिंसा के रूप में रिपोर्ट किया गया है, जिसमें 16 लोग शामिल थे, जिसके कारण दो रेक्टरों को निलंबित कर दिया गया।
X सोशल मीडिया पर वायरल पोस्टों में दावा किया गया है कि यह हमला "शांतिपूर्ण समुदाय" के सदस्यों द्वारा एसटी/एससी (दलित/आदिवासी) छात्रों को निशाना बनाकर किया गया, जिसका तात्पर्य जाति या सांप्रदायिक कोण से है।।
लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स और अन्य स्रोतों की सत्यापित रिपोर्ट में इसे पूरी तरह से रैगिंग दुर्व्यवहार बताया गया है, जिसमें जाति या धार्मिक उद्देश्यों का कोई सबूत नहीं है।
आत्मीयता पत्रिका की जोरदार मांग है कि दोषियों के खिलाफ ठोस कठोर प्रशासनिक कार्रवाई हो।
प्रस्तुति: नेशनल डेस्क, टीम आत्मीयता पत्रिका
X - @teamaatmeeyataa
(स्रोत: जनहितैषी वकील, सर्वाधिक प्रचारित लोकप्रिय भारतीय जनसाहित्य और इंटरनेट, सोशल मीडिया, ग्रामीण, व्हाट्सएप्प, और एक्स पर मुफ़्त में उपलब्ध छायाचित्र, चलचित्रिका और सामग्री)
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