IPS अफसर पूरन कुमार और ASI संदीप कुमार आत्म ह्त्या मामला - भ्र्ष्टाचार की कोई सामाजिक जाति नहीं होती (IPS OFFICER PURAN KUMAR AND ASI SANDEEP KUMAR. SUICIDE CASE - CORRUPTION HAS NO SOCIAL CASTE)
हरियाणा के IPS अफसर पूरन कुमार की आत्मह्त्या का मामला ओर ज्यादा उलझ गया है। कारण है रोहतक में ASI संदीप कुमार का सुसाइड और पीछे छोड़ा गया सुसाइड नोट।
रोहतक में सुसाइड करने वाले ASI संदीप कुमार ने IPS अफसर पूरन कुमार पर अपने सुसाइड नोट में जातिवाद का ज़हर फैलाने और 2000-3000 करोड़ की अवैध संपति का आरोप लगाया है।
संदीप कुमार, जो पूरन कुमार के गनमैन सुशील कुमार से जुड़े एक अहम केस की जांच टीम का हिस्सा थे, उन्होंने अपने तीन पन्नों के सुसाइड नोट और एक वीडियो मैसेज में आईपीएस पूरन कुमार पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
ASI संदीप कुमार ने अपने सुसाइड नोट और वीडियो में आरोप लगाया:
१. रोहतक रेंज में तबादले के बाद पूरन कुमार ने “अपनी जाति के भ्रष्ट पुलिसकर्मियों” को आईजी दफ्तर में तैनात किया। जबकि ईमानदार अफसरों को साइडलाइन कर दिया. उन्होंने फाइलों के नाम पर डराकर पैसे लिए और बेवजह जांच बुलाकर मेंटल टॉर्चर किया।
२. “आईपीएस पूरन कुमार ने सदर थाना मर्डर केस में पैसे लिए.राव इंद्रजीत को बचाने के लिए 50 करोड़ की डील की गई. पूरन कुमार की भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हैं और वह अपनी जाति के भ्रष्ट अफसरों को संरक्षण देते थे."
३. “महिला पुलिसकर्मियों को ट्रांसफर के नाम पर परेशान किया गया. कुछ मामलों में यौन शोषण तक हुआ. नागरिकों और व्यापारियों से भी मोटी रिश्वत ली गई. पूरन कुमार ने अपराध पर रोक लगाने की बजाय उसे बढ़ावा दिया."
४. “पूरन कहते थे कि मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा. घरवाली आईएएस है, साला एमएलए है और परिवार एससी आयोग में है. इसी राजनीतिक और अफसरशाही ताकत के बल पर पूरन कुमार ने खुलकर भ्रष्टाचार किया और कोई उन्हें रोक नहीं सका."
५. “राज्य में कई आईएएस अफसर भ्रष्ट हैं, लेकिन बीजेपी सरकार में कुछ ईमानदार अधिकारी हैं जिन्होंने भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की कोशिश की. डीजीपी साहब ईमानदार और निडर व्यक्ति हैं.” ।
ASI संदीप कुमार ने पूरन कुमार के उस सुसाइड नोट को एक गंभीर चुनौती दी है जिसमें आत्महत्या की वजह दलित होने पर प्रताड़ित किया जाना बताया गया है। संदीप ने अपने नोट में लिखा कि पूरन कुमार ने "केवल गिरफ्तारी से बचने के लिए" और "जातिगत आयोग का सहारा और राजनीतिकरण रंग देने के लिए झूठा सुसाइड नोट तैयार करके आत्महत्या की."
ASI संदीप कुमार ने आत्महत्या करने से पहले एक सुसाइड वीडियो जारी कर पूरन कुमार की आत्महत्या पर ही सवालिया निशान लगा दिए हैं. संदीप के वीडियो और नोट में पूरन पर “भ्रष्टाचार और जातिवाद फैलाने” का आरोप लगाया गया है.
दोनों ही ही मौतें एक हफ्ते के अंदर हुईं और दोनों ही अपने पीछे सुसाइड नोट छोड़ गए. इन दोनों के “सुसाइड नोट्स” ने सिस्टम के भीतर की सच्चाई को दो अलग दिशाओं में मोड़ दिया है.
निष्कर्ष:
१. राजनेता किसी भी मुद्दे को जल्दाबाजी में जाति का मामला बना कर अपनी रोटियां सेकने से नहीं चूकते। जबकि उन्हें किसी भी मामले में पूरी जांच होने तक अपनी गंदी जबान पर ताला लगा कर रखना चाहिए ताकि विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा ना हो।
कुछ राजनेताओं ने IPS अफसर पूरन कुमार के सुसाइड पर दलित राजनीति करने की चेष्टा की थी।
२. अगर ASI संदीप कुमार के आरोप सही हैं तो इसका साफ़ मतलब है
- हरियाणा सरकार में भ्रष्टाचार बहुत व्यापक स्तर पर फैला हुआ है।
- सरकारी कर्मचारी अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए अपने SC ST समाज से होने की बात का गलत फायदा उठा रहे हैं।
३. संदीप कुमार के सुसाइड नोट और वीडियो में आरोप लगाए गए आरोपों से ये सवाल उठना लाजमी हैं:
१. जब SC ST आयोग जैसी शक्तिशाली संस्थाएँ मौजूद हैं जिनके पास IPS अफसर पूरन कुमार आसानी से गुहार लगा सकते थे तो उन्होंने क्यों सुसाइड करने की जल्दबाजी की? जबकि यह सर्व विदित है कि SC ST आयोग किसी भी शिकायत का संज्ञान तुरंत लेता है।
२. क्या IPS अफसर पूरन कुमार ने सुसाइड इसीलिए किया क्योंकि SC ST आयोग जैसी शक्तिशाली संस्था के पास गुहार लगाने के बाद जांच होती और उस जांच में उनके भृष्टाचार की 2000-3000 करोड़ की संपत्ति का भी खुलासा हो जाता और वह जेल की हवा खाते?
३. यदि संदीप कुमार को पक्का यकीन था कि IPS अफसर पूरन कुमार ने भ्र्ष्टाचार से 2000-3000 करोड़ की संपत्ति बनाई है तो सुसाइड करने की क्या जरूरत थी? वह बहादुरी से IPS अफसर पूरन कुमार के सुसाइड नोट में लगाए गए आरोपों का पर्दाफ़ाश भी तो कर सकते थे।
आत्मीयता पत्रिका की भारत सरकार से जनहित में जोरदार मांग है कि सुप्रीम कोर्ट एक विशेष स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (SIT) गठित करे जो एक निश्चित समय सीमा में मामले की सघन जांच कर सही रपट दे ताकि सच बाहर आ सके।
प्रस्तुति: नेशनल डेस्क, टीम आत्मीयता पत्रिका
(स्रोत: इंटरनेट, सोशल मीडिया, ग्रामीण, व्हाट्सएप्प, और एक्स पर मुफ़्त में उपलब्ध छायाचित्र, चलचित्रिका और सामग्री)
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