आओ,
समझाती हूं तुम्हें
इसका सार...!
मोक्ष ......
दो अक्षर का शब्द है।
“मो” का अर्थ मोह
और
"क्ष"का अर्थ है क्षय
या नाश हो जाना।
हमारे जीवन में
धीरे धीरे मोह का
नाश हो जाए,
कम हो जाए,
...उसी को मोक्ष कहते है!
मोक्ष के लिये
मरने की जरुरत नहीं,
केवल बहुत सावधानी से
जीने की जरुरत है!
सच्चे साधु संतों का
गहन अनुभव
ये समझा रहा है,
कि इन पाँच चीजों की
मात्रा कम होने लगे तो
समझना मोक्ष आ रहा है:
१. वस्तु – बहुत सी वस्तुओं से आसक्ति कम होने लगे।
२. वसु – धन संग्रह की वृति, कम होने लगे।
३. विषय – विषयों के प्रति, धीरे धीरे उदासीनता आए।
४. व्यक्ति – एकान्त में सुख मिलने लगे।
५. विचार – विचार कम होने लगे।
हम सभी का जीवन मंगलमय हो...!
प्रस्तुतिकर्ति:
सुजाता कुमारी,
सर्वोपरि संपादिका,
आत्मीयता पत्रिका
(स्रोत: सर्वाधिक प्रचारित लोकप्रिय भारतीय जनसाहित्य और इंटरनेट पर मुफ़्त में उपलब्ध छाया चित्र)
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