राजनीति के लिए ज्यादा पढ़े लिखे होने की अपेक्षा व्यवहार- कुशल और सूझबुझ वाला होना जरूरी है। (POLITICIAN NEED BE A PERSON OF WISEST WISDOM AND PRACTICAL EDUCATION )

राजनीति के लिए ज्यादा पढ़े लिखे होने की अपेक्षा व्यवहार- कुशल और सूझबुझ वाला होना जरूरी है। 

अजय बिष्ट उर्फ़ योगी आदित्यनाथ की ईमानदारी वाकई लाजवाब है, मगर इनमें राजनीतिक सूझबूझ और व्यवहार- कुशलता की भारी कमी है जिसका सबूत है अतिक, अशरफ, गुलाम, असद, विजय की पुलिस कस्टडी और एंकाउंटर में हुई हत्याएँ। 

अजय बिष्ट उर्फ़ योगी आदित्यनाथ की जगह अगर कोई दूसरा सूझबूझ वाला इंसान मुखमन्त्री होता तो वह अतिक, अशरफ, गुलाम, असद, विजय का खून बहाये बिना ही मामले को सियासी फायदे के साथ शांति से निपटा देता। 

बाबा जी एक लोकप्रिय मठाधीश तो हो सकते हैं, मगर उत्तर प्रदेश जैसे धार्मिक तौर पर संवेदनशील राज्य को बतौर मुख्यमन्त्री संभालने की काबिलियत इनमें नहीं है। 

अरविंद केजरीवाल भारत के सबसे बड़े नेता बन सकते थे, मगर उनकी कथनी और करनी में फर्क की वजह से उनकी छवि धूमिल हो चुकी है। 

ममता बनर्जी भारत की सुयोग्य प्रधान मंत्री बन सकती हैं, मगर वे बंगाल से बाहर की ओर नहीं निकल रही हैं।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अपने महाझूठ बोलने के विश्व कीर्तिमान वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के कारण अपना तेज़ खो चुके हैं। उनके शब्दों पर सिवाय उनके चमच्चों के कोई विश्वास नहीं करता है। 

किसान आंदोलन, महिला पहलवानों के आंदोलन, मणिपुर हिंसा जैसे मामलों ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की छवि एक ऐसे बड़बोले राजनेता के रूप में स्थापित कर दी है जो बेहद असंवेदनशील है, जो व्यवहार- कुशल नहीं है, और जिसमें सूझबूझ की भारी कमी है। 

राहुल गाँधी का राजनीतिक विरोधी, विशेषकर भाजपा वाले पप्पू कह कर मजाक उड़ाते थे। 

परंतु, पिछले 2-3 वर्षों में राहुल गाँधी एक पढ़े लिखे, व्यवहार- कुशल और अद्भुत अप्रतिम सूझबूझ वाले नेता के रूप में उभर कर सामने आये हैं। इसका जीता जागता प्रमाण है उनकी हजारों किलोमीटर की देशव्यापी पदयात्रा, करनाटक और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस दल की भारी बहुमत से बनी सरकारें, और आज आम आदिवासी दलितों वंचितों शोषितों गरीबों का राहुल गाँधी के वचनों को सत्य ब्रह्म वाक्य मानना। 

यही बात उनकी बहन प्रियंका वाडरा पर भी लागू होती है। 

आज भारत देश को पढ़े लिखे होने के साथ साथ या उसकी अपेक्षा व्यवहार- कुशल और सूझबुझ वाली राज नेत्रियों और राजनेताओं की नितांत जरूरत है। 

स्वामी मूर्खानंद जी

(स्रोत: सोशल मीडिया, व्हाट्सएप्प, इंटरनेट पर मुफ़्त में उपलब्ध छायाचित्र, चलचित्रका, साहित्य,सामग्री)


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