IS IT IN INDIA's DEMOCRATIC INTERESTS TO ELECT A PRIME MINISTER FOR THE THIRD TERM? (क्या भारत जैसे लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति को तीसरी बार प्रधानमन्त्री पद दिया जाना लोकतन्त्र के हित में है?)

क्या भारत जैसे लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति को तीसरी बार प्रधानमन्त्री पद दिया जाना लोकतन्त्र के हित में है?

किसी भी लोकतन्त्र में किसी एक व्यक्ति को सालों साल अमर्यादित समय की अवधि के लिए प्रधानमन्त्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बने रहने देना उस लोकतन्त्र के लोकहित में कतई नहीं है।

किसी एक व्यक्ति को सालों साल प्रधानमन्त्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बने रहने देना उस लोकतन्त्र में उस व्यक्ति और उसकी शासक मंडली को निरंकुश बनने के लिए खुला आमंत्रण होता है। पूरी दुनिया में नज़र पसार कर देख लीजिये। जहाँ कहीं भी सालों साल एक ही शासक सत्ता में बना रहा है, वहाँ शासक वर्ग निरंकुश हो गया, जनता की आज़ादी को दबा दिया गया। नयी पीढ़ी को नेतृत्व करने का अवसर नहीं मिला। कुल मिला कर, वह देश प्रगति करने तथा मानवाधिकारों की रक्षा करने में फेल हो गया। जैसे कि स्टालिन का रशिया, माओ का चीन, गद्दाफ़ी का लीबिया आदि।

निरंकुश शासन से पैदा होने वाली समस्याओं को ध्यान में रख कर ही अमेरिका जैसे प्रगतिशील लोकतांत्रिक राष्ट्रों में किसी भी नागरिक के राष्ट्रपति पद पर बने रहने की समय की सीमा निश्चित कर दी गयी है। वहाँ कोई भी नागरिक केवल दो बार ही राष्ट्रपति बन सकता है। तीसरी बार नहीं। इसीलिए बराक ओबामा जैसे लोकप्रिय नेता को भी केवल दो बार ही राष्ट्रपति पद पा कर संतोष करना पड़ा।

अमेरिका में राष्ट्रपति का पद सबसे शक्तिशाली होता है। वहीं भारत में प्रधानमंत्री सबसे शक्तिशाली राजनीतिक पद होता है। अमेरिका में राष्ट्रपति का पद केवल चार साल के लिए मिलता है। वहीं भारत में प्रधानमंत्री की कुर्सी केवल पाँच साल के लिए ही प्राप्त होती है। तीसरा सबसे बड़ा अंतर यह है कि भारत में अभी भी किसी भी व्यक्ति को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर पाबंदी नहीं है। जबकि अमेरिका में कोई भी नागरिक तीसरी बार राष्ट्रपति नहीं बन सकता है।

भारत के राजनीतिज्ञों की वर्तमान मानसिकता किसी भी समय अवधि को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं दिखती है। भले ही वे सत्ता में हों या सत्ता से बाहर विपक्ष में।

इसलिए, देश में प्रबुद्ध वर्ग को लोकहित में लोक आंदोलन करना होगा और शासकों पर लोकदबाव डाल कर लोकहित में कानून बनवाना होगा कि प्रधानमन्त्री, मंत्री, मुख्यमन्त्री, राष्ट्रपति आदि जैसे किसी भी चुने जाने वाले संवैधानिक पद पर कोई भी नागरिक दो बार से अधिक बार नहीं रहेगा। ऐसा करना संभव है। याद कीजिये कि कैसे दल-बदल कानून भी तब लागू हुआ था जब देश में प्रबुद्ध वर्ग ने लोकहित में लोक आंदोलन किया और शासकों पर लोकदबाव डाला! 


~ Dr Swaamee Aprtemaanandaa Jee

(The writer is an acclaimed independent Scientific Healer, yoga and ayurveda-Practitioner, Spiritual/Research/Political Scientist, Gynaecologist, Epidemiologist, Geostrategist, economic/political-Geographer, Geohumanist, Cosmologist, and citizen-Economist)

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