हर जगह लड़ाई सफल नहीं होती - प्रेरक प्रसंग

महाभारत के युद्ध में अपने पिता द्रोणाचार्य के धोखे से मारे जाने पर अश्वत्थामा बहुत ही क्रोधित हो गए और उन्होंने पांडव सेना पर एक बहुत ही भयानक अस्त्र "नारायण अस्त्र" छोड़ दिया जिसका कोई भी प्रतिकार नहीं कर सकता था। 

यह जिन लोगों के भी हाथ में हथियार हो और वो लड़ने के लिए कोशिश करता दिखे, नारायण अस्त्र उस पर अग्नि बरसाता था और उसे तुरंत नष्ट कर देता था।

भगवान श्रीकृष्ण जी ने पांडव सेना को अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र छोड़कर और चुपचाप हाथ जोड़कर खड़े रहने का आदेश दिया। और कहा कि अपने मन में युद्ध करने का विचार भी न लाएं क्योंकि यह उन्हें भी पहचान कर नष्ट कर देता है।

नारायण अस्त्र धीरे-धीरे अपना समय समाप्त होने पर शांत हो गया। और इस तरह पांडव सेना की रक्षा हो गई! 

कहानी का संदेश यह है कि र जगह और हर स्थिति में लड़ाई सफल नहीं होती है। कभी कभी प्रकृति के प्रकोप से बचने के लिए हमें भी कुछ समय के लिए सारे काम छोड़कर, चुपचाप हाथ जोड़कर और मन में सुविचार रख कर एक जगह ठहर जाना चाहिए। तभी हम इसके कहर से बचे रह पाएंगे! 


प्रस्तुतिकर्ति: 
सुजाता कुमारी, 
सर्वोपरि संपादिका, 
आत्मीयता पत्रिका
(स्रोत: सर्वाधिक प्रचारित लोकप्रिय भारतीय जनसाहित्य और इंटरनेट पर मुफ़्त में उपलब्ध छाया चित्र)  

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