सीने में दर्द और ग़जब का रिश्ता

मैं बिस्तर पर से उठा, अचानक छाती में दर्द होने लगा मुझे हार्ट की तकलीफ तो नहीं है? ऐसे विचारों के साथ मैं आगे वाली बैठक के कमरे में गया मैंने देखा कि मेरा पूरा परिवार मोबाइल में व्यस्त था

मैंने पत्नी को देखकर कहा- "मेरी छाती में आज रोज से कुछ ज़्यादा दर्द हो रहा है, डाॅक्टर को दिखा कर आता हूँ 

हाँ मगर सँभलकर जाना, काम हो तो फोन करना" मोबाइल में देखते-देखते ही पत्नी बोलीं

मैं एक्टिवा की चाबी लेकर पार्किंग में पहुँचा, पसीना मुझे बहुत आ रहा था, ऐक्टिवा स्टार्ट नहीं हो रही थी

ऐसे वक्त्त हमारे घर का काम करने वाला ध्रुव साईकिल लेकर आया, साईकिल को ताला लगाते ही, उसने मुझे सामने खड़ा देखा

क्यों सा'ब ऐक्टिवा चालू नहीं हो रही है?

मैंने कहा- "नहीं..!!

आपकी तबीयत ठीक नहीं लगती सा'ब,

इतना पसीना क्यों आ रहा है? सा'ब इस हालत में स्कूटी को किक नहीं मारते,मैं किक मार कर चालू कर देता हूँ। 

ध्रुव ने एक ही किक मारकर ऐक्टिवा चालू कर दिया, साथ ही पूछा- 

साब अकेले जा रहे हो?

मैंने कहा- "हाँ

उसने कहा- ऐसी हालत में अकेले नहीं जाते, 

चलिए मेरे पीछे बैठ जाइये मैंने कहा- तुम्हें एक्टिवा चलानी आती है?

सा'ब गाड़ी का भी लाइसेंस है, चिंता छोड़कर बैठ जाओ पास ही एक अस्पताल में हम पहुँचे ध्रुव दौड़कर अंदर गया और व्हील चेयर लेकर बाहर आया

"सा'ब अब चलना नहीं, इस कुर्सी पर बैठ जाओ"

ध्रुव के मोबाइल पर लगातार घंटियां बजती रहीं, मैं समझ गया था। फ्लैट में से सबके फोन आते होंगे कि अब तक क्यों नहीं आया? ध्रुव ने आखिर थक कर किसी को कह दिया कि आज नहीं आ सकता। 

ध्रुव डाॅक्टर के जैसे ही व्यवहार कर रहा था, उसे बगैर बताये ही मालूम हो गया था कि सा'ब को हार्ट की तकलीफ है।

लिफ्ट में से व्हील चेयर ICU की तरफ लेकर गया। 

डाॅक्टरों की टीम तो तैयार ही थी, मेरी तकलीफ सुनकर। सब टेस्ट शीघ्र ही किये

डाॅक्टर ने कहा- "आप समय पर पहुँच गये हो, इसमें भी आपने व्हील चेयर का उपयोग किया, वह आपके लिए बहुत फायदेमन्द रहा"

अब किसी की राह देखना आपके लिए बहुत ही हानिकारक है इसलिए बिना देर किए हमें हार्ट का ऑपरेशन करके आपके ब्लोकेज जल्द ही दूर करने होंगे इस फार्म पर आप के स्वजन के हस्ताक्षर की ज़रूरत है डाॅक्टर ने ध्रुव की ओर देखा 

मैंने कहा- "बेटे, दस्तखत करने आते हैं?"

उसने कहा- 

"सा'ब इतनी बड़ी जिम्मेदारी मुझ पर न डालो"

"बेटे तुम्हारी कोई जिम्मेदारी नहीं है तुम्हारे साथ भले ही लहू का सम्बन्ध नहीं है, फिर भी बगैर कहे तुमने अपनी जिम्मेदारी पूरी की वह जिम्मेदारी हकीकत में मेरे परिवार की थी एक और जिम्मेदारी पूरी कर दो बेटा। मैं नीचे सही करके लिख दूँगा कि मुझे कुछ भी होगा तो जिम्मेदारी मेरी है ध्रुव ने सिर्फ मेरे कहने पर ही हस्ताक्षर किये हैं", बस अब... ..

और हाँ घर फोन लगा कर खबर कर दो" 

बस, उसी समय मेरे सामने मेरी पत्नी का फोन ध्रुव के मोबाइल पर आया। वह शांति से फोन सुनने लगा

थोड़ी देर के बाद ध्रुव बोला-"मैडम, आपको पगार काटने का हो तो काटना, निकालने का हो तो निकाल देना मगर अभी अस्पताल में ऑपरेशन शुरु होने के पहले पहुँच जाओ हाँ मैडम, मैं सा'ब को अस्पताल लेकर आया हूँ। डाक्टर ने ऑपरेशन की तैयारी कर ली है और राह देखने की कोई जरूरत नहीं है"

मैंने कहा- "बेटा घर से फोन था?"

"हाँ सा'ब"

मैंने मन में पत्नी के बारे में सोचा, तुम किसकी पगार काटने की बात कर रही हो और किसको निकालने की बात कर रही हो? आँखों में आँसू के साथ ध्रुव के कन्धे पर हाथ रखकर मैं बोला- "बेटा चिंता नहीं करते"

"मैं एक संस्था में सेवायें देता हूँ, वे बुज़ुर्ग लोगों को सहारा देते हैं, वहां तुम जैसे ही व्यक्तियों की ज़रूरत है"

"तुम्हारा काम बरतन कपड़े धोने का नहीं है, तुम्हारा काम तो समाज सेवा का है, बेटा पगार मिलेगा। 

इसलिए चिंता बिल्कुल भी मत करना"

ऑपरेशन के बाद मैं होश में आया, मेरे सामने मेरा पूरा परिवार नतमस्तक खड़ा था। मैं आँखों में आँसू लिये बोला- "ध्रुव कहाँ है?"

पत्नी बोली- "वो अभी ही छुट्टी लेकर गाँव चला गया कह रहा था कि उसके पिताजी हार्ट अटैक से गुज़र गये है, 15 दिन के बाद फिर आयेगा"

अब मुझे समझ में आया कि उसको मेरे अन्दर उसका बाप दिख रहा होगा

हे प्रभु, मुझे बचाकर आपने उसके बाप को उठा लिया?

पूरा परिवार हाथ जोड़कर, मूक, नतमस्तक माफी माँग रहा था। 

एक मोबाइल की लत (व्यसन) एक व्यक्ति को अपने दिल से कितना दूर लेकर जाती है, वह परिवार देख रहा था...! 

यही नहीं मोबाइल आज घर-घर कलह का कारण भी बन गया है बहू छोटी-छोटी बातें तत्काल अपने माँ-बाप को बताती है और माँ की सलाह पर ससुराल पक्ष के लोगों से व्यवहार करती है, जिसके परिणाम स्वरूप वह बीस-बीस साल में भी ससुराल पक्ष के लोगों से अपनत्व नहीं जोड़ पाती.

डाॅक्टर ने आकर कहा- "सबसे पहले यह बताइये ध्रुव भाई आप के क्या लगते हैं?"

मैंने कहा- "डाॅक्टर साहब, कुछ सम्बन्धों के नाम या गहराई तक न जायें तो ही बेहतर होगा, उससे सम्बन्ध की गरिमा बनी रहेगी, बस मैं इतना ही कहूँगा कि वो आपात स्थिति में मेरे लिए फरिश्ता बन कर आया था"

पिन्टू बोला- "हमको माफ़ कर दो पापा, जो फर्ज़ हमारा था, वह ध्रुव ने पूरा किया, यह हमारे लिए शर्मनाक है। अब से ऐसी भूल भविष्य में कभी भी नहीं होगी पापा"

"बेटा, जवाबदारी और नसीहत (सलाह) लोगों को देने के लिये ही होती है। 

जब लेने की घड़ी आये, तब लोग बग़लें झाँकते हैं या ऊपर नीचे हो जाते हैं। 

अब रही मोबाइल की बात...

बेटे, एक निर्जीव खिलौने ने जीवित खिलौने को गुलाम बनाकर रख दिया है अब समय आ गया है कि उसका मर्यादित उपयोग करना है नहीं तो....परिवार समाज और राष्ट्र को उसके गम्भीर परिणाम भुगतने पडेंगे और उसकी कीमत चुकाने के लिये तैयार रहना पड़ेगा" जिन्दगी आज है कल का क्या पता जब तक सांस है अवश्य बैर न करना किसी से भी भुल होई हो क्षमा देना या मागना कताई बुरा नही है। 

अतः बेटे और बेटियों को बड़ा अधिकारी या व्यापारी बनाने की जगह एक अच्छा इन्सान बनायें। 

(पता नहीं, किन महानुभाव ने लिखी है, लेकिन मेरे दिल को इतना छू गयी कि शेयर करने से मैं अपने आप को रोक नहीं पायी! यह हर बेटे बेटी के मोबाइल पर पहुंचनी चाहिए... ✍️👩‍🎤!)

(स्रोत: भारतीय डिजिटल जनश्रुतियाँ) 

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