सकारात्मक जीवन दृष्टि और आनंद
दुख में सुख खोज लेना, हानि में लाभ खोज लेना और प्रतिकूलताओं में भी अवसर खोज लेना, इस सबको सकारात्मक दृष्टिकोण कहा जाता है।
जीवन का ऐसा कोई भी बड़े से बड़ा दुख नहीं है, जिसमें सुख की परछाईयों को ना देखा जा सके।
जिंदगी की ऐसी कोई भी बाधा नहीं है, जिससे कुछ प्रेरणा ना ली जा सके।
रास्ते में पड़े हुए पत्थर को हम मार्ग की बाधा मान भी सकते हैं, और चाहें तो उस पत्थर को सीढ़ी बनाकर ऊपर भी चढ़ सकते हैं।
जीवन का आनंद वही लोग उठा पाते हैं, जिनका सोचने का ढंग सकारात्मक होता है।
इस दुनियां में ज्यादा लोग इसलिए दुखी नहीं हैं कि उन्हें किसी भी चीज की कमी है, बल्कि इसलिए दुखी हैं कि उनके सोचने का ढंग नकारात्मक है।
सकारात्मक सोचें और सकारात्मक देखें, इससे हमको अभाव में भी जीने का आनंद आ जाएगा।
जीवन एक महोत्सव है, इसलिए इसे प्रत्येक पल उत्सव की तरह जीएं और इस सुंदर जीवन के लिए परमात्मा का हर पल आभार व्यक्त करते रहें।
दुख में सुख खोज लेना, हानि में लाभ खोज लेना और प्रतिकूलताओं में भी अवसर खोज लेना, इस सबको सकारात्मक दृष्टिकोण कहा जाता है।
जीवन का ऐसा कोई भी बड़े से बड़ा दुख नहीं है, जिसमें सुख की परछाईयों को ना देखा जा सके।
जिंदगी की ऐसी कोई भी बाधा नहीं है, जिससे कुछ प्रेरणा ना ली जा सके।
रास्ते में पड़े हुए पत्थर को हम मार्ग की बाधा मान भी सकते हैं, और चाहें तो उस पत्थर को सीढ़ी बनाकर ऊपर भी चढ़ सकते हैं।
जीवन का आनंद वही लोग उठा पाते हैं, जिनका सोचने का ढंग सकारात्मक होता है।
इस दुनियां में ज्यादा लोग इसलिए दुखी नहीं हैं कि उन्हें किसी भी चीज की कमी है, बल्कि इसलिए दुखी हैं कि उनके सोचने का ढंग नकारात्मक है।
सकारात्मक सोचें और सकारात्मक देखें, इससे हमको अभाव में भी जीने का आनंद आ जाएगा।
जीवन एक महोत्सव है, इसलिए इसे प्रत्येक पल उत्सव की तरह जीएं और इस सुंदर जीवन के लिए परमात्मा का हर पल आभार व्यक्त करते रहें।
(स्रोत: जनश्रुति)
प्रस्तुतकर्ती:
सुजाता कुमारी
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