लस्सी (butter-milk) |
लस्सी में भुना/पीसा हुआ जीरा व एक चुंटी (a pint of) काला पिसा हुआ नमक जरूर डालें। सबसे खास बात- भूखा कभी भी नहीं रहें। भूखा रहने से या भूखा होने के बावजूद भोजन न करने से भी शरीर में अंदरूनी गरमी हो जाती है। अंदरूनी गरमी की वज़ह से मुंह वगैरह पर फोडे फुंसी होते रहते हैं और कई दफा दस्त भी लग जाते हैं।
चाय काॅफी जैसी गरम चीज़ पीना बंद करें। विशेषकर बवासीर के रोगी तो लाल मिर्च और अन्य गरम मसालों का सेवन बिल्कल ही बंद कर दें।
लस्सी पीने के एक-दो घंटों के बाद आधा-एक ताजा पतली मूली खाएं जिससे आंतों की गरमी मिटती है।
दोपहर के बाद मूली न खाएं क्योंकि ऐसा करने से पेट में अफारा/वायु (gas) बन जाता है जो भूख को कम कर देता है।
दिनभर 2-3 लिटर पानी अवश्य पिएँ। ऐसा करने से शरीर की अंदरूनी गरमी मिटती है।
सुबह-शाम भोजन करने के आधा घंटे बाद बेल के मुरब्बा की एक फांक (एक टुकडा - 20-30 ग्राम) जरूर खाइये. इस से आंतें (intestines) चिकनी और स्वस्थ बनी रहती हैं, आंतों के घाव भर जाते हैं, कब्ज (constipation) भी नहीं होती है तथा मल भी आसानी से बिना आंतों से घर्षण किए ही मलद्वार से बाहर निकल जाता है जिससे मससों पर भी जोर नहीं पडता है और मल (faeces/stool/excreta) से दुर्गध भी समाप्त हो जाती है। मधुमेह (diabetes) के रोगी बेल का मुरब्बा न खाएं।
बेल का मुरब्बा कहाँ मिलेगा?
यदि आपको बेल का मुरब्बा मिलने में परेशानी हो रही हो तो आप इसे आसानी से ऑनलाइन इंटरनेट के माध्यम से पा सकते हैं। इसके लिए आपको www.patanjaliayurved.net वेबसाइट पर जाना होगा। इस समय यह एक किलो के बंद डब्बे में 155 रुपयों की कीमत पर मिल रहा
है।
Dr Swaamee Aprtemaanandaa Jee
( Dr Swaamee Aprtemaanandaa Jee's Yoga-Secrets-Revealed Series - 65)
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