I AM A MYSTIC/SAINT IN THE COSTUME OF A LOVER…! (अ दुनिया वालों मैं तो दरअसल आशिकी का आशिक हूँ...! )
“मैं तो आशिक के लिबास में फकीर हूँ और फकीर के
लिबास में आशिक हूँ...! अ दुनिया वालों मैं तो दरअसल
आशिकी का आशिक हूँ...!
मेरे बारे में तुम्हें जो सोचना है सोचो, तुम्हारा वह सोच तुम्हारी खुद
की तकदीर है, मेरी नहीं...!
सो, अपनी खुद की फिक्र करो, मेरी नहीं...!
मैं तुम्हारी सोच से भी परे हूँ...!
मेरे बारे में आलतू-फालतू सोच-सोच कर अपना कीमती वक्त बरबाद न करो, इसी
में तुम्हारी भलाई है...!”
“I am a
mystic/saint in the garb of a Lover and a Lover in the garb of a mystic/saint;
I am precisely a Lover of the Love…!
Think you
whatever of me as to who I actually am…!
Your
thinking so is your own destiny, not mine…!
So, mind
your own destiny, not mine…!
I am
beyond your limited human comprehension…!
Don’t
waste your precious time in thinking rubbish about me; it is for your own
good…!”
~ Dr Swaamee Aprtemaanandaa Jee
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