सरकारी पदाधिकारी द्वारा निजी संस्थानों के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनने या पुरस्कार वितरण करने पर संवैधानिक प्रतिबंध लगे - सर्वोच्च न्यायालय से अतिनम्र गुहार!
किसी सरकारी पदाधिकारी का किसी निजी संस्थान के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनना या पुरस्कार वितरण करना सर्वथा असंवैधानिक एवम् निंदनीय है क्योंकि ये सरकारी पदाधिकारी जनता के सामूहिक कार्यों को सिद्ध करने हेतु जनप्रतिनिधि के रूप में चुने जाते हैं न कि किसी निजी व्यक्ति या निजी संस्थान के कार्य सिद्ध करने हेतु!
उदाहरणतः प्रधानमंत्री का किसी प्रचार माध्यम [मिडिया हाउस] के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनना या पुरस्कार वितरण करना सर्वथा असंवैधानिक एवम् निंदनीय है!
किसी सरकारी पदाधिकारी का किसी सरकारी संस्थान के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनना या पुरस्कार वितरण करना सर्वथा संवैधानिक एवम् स्तुत्नीय है!
अतः सर्वोच्च न्यायालय से अतिनम्र गुहार है: किसी सरकारी पदाधिकारी द्वारा किसी निजी संस्थान के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनने या पुरस्कार वितरण करने पर अविलंब संवैधानिक प्रतिबंध लगे.
- स्वामी मूर्खानन्द जी
उदाहरणतः प्रधानमंत्री का किसी प्रचार माध्यम [मिडिया हाउस] के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनना या पुरस्कार वितरण करना सर्वथा असंवैधानिक एवम् निंदनीय है!
किसी सरकारी पदाधिकारी का किसी सरकारी संस्थान के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनना या पुरस्कार वितरण करना सर्वथा संवैधानिक एवम् स्तुत्नीय है!
अतः सर्वोच्च न्यायालय से अतिनम्र गुहार है: किसी सरकारी पदाधिकारी द्वारा किसी निजी संस्थान के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनने या पुरस्कार वितरण करने पर अविलंब संवैधानिक प्रतिबंध लगे.
- स्वामी मूर्खानन्द जी
[फ़ोटो: गूगल के सौजन्य से]
[टिप्पणी: इस लेख में व्यक्त विचार स्तंभकार स्वामी मूर्खानन्द जी के अपने स्वयं के व्यक्तिगत विचार हैं। इन विचारों से ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी का सहमत होना कोई अनिवार्य नहीं है। इस संबंध में न्यायिक विवादों के निपटारे हेतु दिल्ली उच्च न्यायालय ही एक मात्र विकल्प है।]
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