नेहरू की तुष्टिकरण नीति: कैसे UCC का विरोध करके हिंदू समुदाय को नजरअंदाज किया गया

अंबेडकर बनाम नेहरू की दुविधा:

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और संविधान निर्माता डॉ. बी.आर. अंबेडकर के बीच यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर जो मतभेद थे, वह आज भी भारतीय राजनीति में गूंज रहे हैं। जबकि अंबेडकर UCC के प्रबल समर्थक थे और इसे दो दिनों में तैयार करने का दावा करते थे, नेहरू की तुष्टिकरण की राजनीति ने इस महत्वपूर्ण सुधार को धराशायी कर दिया।


अंबेडकर का दृढ़ समर्थन और नेहरू की दुविधा:

डॉ. अंबेडकर का स्पष्ट रुख:
  • अंबेडकर ने संविधान सभा में UCC को "छोटा सा कोना" बताया था जिसे कानून में अभी तक शामिल नहीं किया गया था

  • उन्होंने तर्क दिया कि "हमारे पास मानवीय रिश्तों के हर पहलू के लिए समान कानून हैं"

  • केवल विवाह और उत्तराधिकार के मामले में अलग कानून थे


नेहरू की राजनीतिक गणना:

  • नेहरू ने शुरू में UCC का समर्थन किया था लेकिव मुस्लिम रूढ़िवादियों के दबाव में झुक गए

  • 1948 में मुस्लिम नेताओं का कड़ा विरोध देखकर नेहरू ने UCC को निदेशक सिद्धांतों में धकेल दिया

हिंदू कोड बिल की त्रासदी

अंबेडकर का इस्तीफा और कारण:

  • 27 सितंबर 1951 को अंबेडकर ने नेहरू के कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया

  • अंबेडकर ने कहा: "प्रधानमंत्री का पूरा समय और ध्यान मुसलमानों की सुरक्षा में लगा रहता है... क्या मुसलमान ही एकमात्र ऐसे लोग हैं जिन्हें सुरक्षा की जरूरत है?"

हिंदू समुदाय की उपेक्षा:

  • नेहरू ने केवल हिंदू पर्सनल लॉ में सुधार का दबाव डाला, मुस्लिम पर्सनल लॉ को अछूता छोड़ दिया

  • व्यापक हिंदू विरोध के बावजूद नेहरू ने हिंदू कोड बिल को आगे बढ़ाने की कोशिश की

  • राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद तक ने विरोध जताया था

नेहरू की तुष्टिकरण नीति के उदाहरण

1. धार्मिक स्वतंत्रता में असंतुलन:

  • हिंदू मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण जबकि मस्जिदों और चर्चों को स्वायत्तता

  • हिंदू त्योहारों पर पाबंदी (जैसे लाउडस्पीकर बैन) जबकि अल्पसंख्यक प्रथाओं में ढील

2. शाह बानो मामला (बाद में):

  • 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो के पक्ष में फैसला दिया

  • राजीव गांधी सरकार ने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए मुस्लिम महिला अधिनियम 1986 पास किया

3. अनुच्छेद 370 और कश्मीर:

  • नेहरू की "कश्मीर नीति" ने समस्या को और गहरा बनाया

  • हिंदू हितों की अनदेखी करके पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने की कोशिश

हिंदू शरणार्थियों की उपेक्षा

पूर्वी बंगाल के हिंदू शरणार्थी:

  • 1950 के दशक में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) से आने वाले हिंदू शरणार्थियों को पर्याप्त सहायता नहीं मिली

  • नेहरू ने कथित तौर पर कहा था: "अगर हमने दरवाजा खोला तो हम सब डूब जाएंगे"

  • मुस्लिम शरणार्थियों को पाकिस्तान में बेहतर पुनर्वास मिला

पूर्वोत्तर में ईसाई मिशनरी गतिविधियां

वेरियर एल्विन का प्रभाव:

  • नेहरू ने जनरल के.एम. करिअप्पा की सलाह को नजरअंदाज किया

  • हिंदू साधुओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाकर ईसाई मिशनरियों को खुली छूट दी

  • नागालैंड में ईसाई जनसंख्या 1947 में 20% से बढ़कर आज 95% हो गई

वक्फ अधिनियम 1954: और एक तुष्टिकरण

  • नेहरू ने 1954 में वक्फ अधिनियम पास कराया जो मुस्लिम संपत्तियों को विशेष सुरक्षा देता था

  • हिंदू मंदिरों की संपत्ति पर सरकारी नियंत्रण जारी रखा

राजनीतिक परिणाम और चुनावी हार

अंबेडकर के साथ षड्यंत्र:

  • 1952 के चुनाव में नेहरू, एस.के. पाटिल और कम्युनिस्ट नेता डांगे ने मिलकर अंबेडकर को हराने की साजिश रची

  • "वोट खराब करो लेकिन अंबेडकर को वोट मत दो" का नारा दिया गया

  • संविधान निर्माता को हराना नेहरू की संकीर्ण राजनीति का प्रमाण था

नेहरूवादी सेक्युलरिज्म की समस्याएं

असंतुलित सेक्युलरिज्म:

  • हिंदू बहुसंख्यक समुदाय की चिंताओं की अनदेखी

  • अल्पसंख्यक तुष्टिकरण को सेक्युलरिज्म का नाम देना

  • "कम्पोजिट कल्चर" के नाम पर हिंदू संस्कृति को कमजोर करना

आधुनिक परिप्रेक्ष्य में UCC

उत्तराखंड की पहल:

  • 27 जनवरी 2025 को उत्तराखंड ने UCC लागू किया

  • यह स्वतंत्र भारत का पहला राज्य है जिसने UCC को अपनाया

राजनीतिक बदलाव:

  • भाजपा का 2019 चुनावी घोषणापत्र में UCC का वादा

  • मोदी सरकार में अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण और तीन तलाक पर कानून

निष्कर्ष: नेहरू की विरासत का मूल्यांकन

नेहरू की तुष्टिकरण नीति ने भारत को गहरे सामाजिक विभाजन की ओर धकेला। अंबेडकर जैसे महान व्यक्तित्व को हाशिए पर डालकर, हिंदू समुदाय की वैध चिंताओं को नजरअंदाज करके, और एकपक्षीय सुधारों को बढ़ावा देकर नेहरू ने भारतीय समाज में जो असंतुलन पैदा किया, उसके परिणाम आज भी भुगतने पड़ रहे हैं।

आज की चुनौती यह है कि नेहरू की गलत नीतियों को सुधारते हुए एक सच्चे समानता पर आधारित समाज का निर्माण कैसे करें जहां सभी समुदायों के साथ न्याय हो, लेकिन किसी एक समुदाय की तुष्टि के लिए दूसरे को नुकसान न उठाना पड़े।

यूनिफॉर्म सिविल कोड आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना अंबेडकर के समय में था। नेहरू की असफलता को आधुनिक भारत की सफलता से बदलने का समय आ गया है।

प्रस्तुतकर्ता
आशुतोष पाणिग्राही
(स्वतन्त्र सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विचारक, चिंतक, एवम् विश्लेषक)
X हैंडल: @SimplyAsutosh

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