CAT ( CENTRAL ADMINISTRATIVE TRIBUNAL) , AFT (ARMED FORCES TRIBUNAL) और अन्य न्यायिक संस्थाओं को तुरन्त भारत सरकार के नियंत्रण से मुक्त किया जाए!

( प्रतिकात्मक फोटो) 
अब समय आ गया है कि CAT ( CENTRAL ADMINISTRATIVE TRIBUNAL) , AFT (ARMED FORCES TRIBUNAL) और अन्य न्यायिक संस्थाओं को तुरन्त सरकार के नियंत्रण से मुक्त किया जाए। इसके कई कारण
हैं।
CAT ( CENTRAL ADMINISTRATIVE TRIBUNAL) , AFT (ARMED FORCES TRIBUNAL) में कुछ सदस्य JUDICIARY के द्वारा चयनित होते हैं तो कुछ सदस्य भारत सरकार के गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय द्वारा चयनित होते हैं।

मुझे एक वरिष्ठ वकील ने बताया कि CAT को गृह मंत्रालय और AFT को रक्षा मंत्रालय नियंत्रित करता है। इसी कारण से इन मंत्रालयों द्वारा चयनित ADMINISTRATIVE मेंबर अधिकतर सरकार के पक्ष में ही फैसला देते हैं, और कुछ इक्के दुक्के केसों में ही सरकारी नौकर के पक्ष में फैसला देते हैं।

इस से फैसले अधिकतर निष्पक्ष ना हो कर सरकार के पक्ष में ही होते हैं। इसका सबूत इस बात से मिल जाता है कि AFT और CAT द्वारा डिस्मिस किये गये अधिकतर केसों में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट सरकारी नौकर के पक्ष में ही फैसला देते हैं अपील किये जाने पर।

मुझे बताया गया है कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय द्वारा चयनित ADMINISTRATIVE मेंबर में अधिकांश हिस्सा वे सरकारी अफसर होते हैं जो रिटायरमेंट के बाद जुगाड़ और अपनी ऑफिशियल नेट वर्किंग के सहारे CAT ( CENTRAL ADMINISTRATIVE TRIBUNAL) , AFT (ARMED FORCES TRIBUNAL) में जज बन कर आ जाते हैं।

मुझे बताया गया है कि कुछ सरकारी अफसर इतने जुगाड़ू होते हैं कि सरकारी नौकरी से रिटायर होते ही अगले दिन CAT/AFT में जज बन जाते हैं! 

इनमें से 90% को कानून की बारीकी से जानकारी नहीं होती है। दूसरी समस्या यह है कि ये अधिकतर पक्षपात कर के सरकार के हितों की ही रक्षा करते हैं। तीसरी बात यह है कि इनका रवैया अकडू सरकारी अधिकारी की तरह ही बना रहता है। इनकी मानसिकता क्रूर सरकारी अधिकारी की ही बनी रहती है। ये अभी भी अपने आपको निरंकुश अफसर ही समझते हैं, ना कि निष्पक्ष जज।

एक मामले में ऐसा हुआ कि CAT का ADMINISTRATIVE मेंबर उसी विभाग में काम कर चुका था जिस विभाग का कर्मचारी इंसाफ मांगने के लिए आया था। CAT के इस ADMINISTRATIVE मेंबर ने अपने पुराने विभाग के ग्रुप ए अफसरों को बचाने के लिए और चिढ़ कर आनन फानन में, बिना सोचे समझे और बिना OA (Original Appeal) , रीजोइंडर्स और फाइनल लिखित सबमिशन को ठीक ठीक पढ़े, और बिना तथ्यों को समझे, विभाग के पक्ष में फैसला दे दिया।

रिव्यू पिटीशन को भी बिना वकील को पर्सनल हियरिंग का मौका दिये फाइलिंग के 3 दिन के अंदर ही डिस्मिस कर दिया। ऐसा लगा जैसे कि वो ADMINISTRATIVE मेंबर तैयार बैठा था कि “रिव्यू पिटीशन आये और उसे डिस्मिस करूँ।“ “Differences of views” की आड़ में रिव्यू पिटीशन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अगर फिरयादी को लगता है कि वह जजमेंट से सहमत नहीं है तो वह उपर के कोर्ट में अपील करे।

पता नहीं क्यों नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एन डी ए सरकार ऐसे क्रूर निर्दयी निर्मम सेवा निवृत अफसरों को CAT/AFT में ADMINISTRATIVE मेंबर बना देती है? शायद ऐसे अफसर एन डी ए सरकार के नेताओं की तेज़ नजरों से बच कर अपनी पुरानी ऑफिशियल नेट वर्किंग के सहारे CAT ( CENTRAL ADMINISTRATIVE TRIBUNAL) , AFT (ARMED FORCES TRIBUNAL) में जज बन कर आ जाते हैं।

ये सेवा निवृत अफसर निस्वार्थ सेवा की भावना से CAT/AFT में जज बन कर नहीं आते हैं। अपितु, इनका मूल उद्देश्य उन सरकारी सुख सुविधाओं को रिटायर होने के बाद भी भोगना है, जिन सरकारी सुख सुविधाओं की इन अफसरों को लत लग चुकी होती है। यदि इन्हें निस्वार्थ सेवा करनी ही है तो क्यों ये कोई समाज सेवा के कार्य में अपना धन खर्च नहीं करते, क्यों बिना वेतन लिए CAT/AFT में जज की भूमिका नहीं निभाते?


समस्या का निराकरण

इस समस्या का सरल हल यही है कि CAT/AFT को गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के नियंत्रण से अविलंब मुक्त किया जाए और इन्हें JUDICIARY/SUPTEME COURT के नियंत्रण में सौंप दिया जाए। इस से CAT/AFT में फैसले निष्पक्ष होने की संभावना और संख्या बढ़ जायेगी क्योंकि JUDICIARY/SUPTEME COURT द्वारा चयनित/मनोनीत जज सरकार के गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के दबाव में ना आ कर स्वतन्त्र निष्पक्ष फैसले ही देंगे। साथ ही CAT/AFT जुगाड़ू अज्ञानी क्रूर सरकारी अफसरों के क्रूर नियन्त्रण से मुक्त हो जाएंगे।

~ डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी
Dr Swaamee Aprtemaanandaa Jee

(The writer is an acclaimed independent Scientific Healer, yoga and ayurveda-Practitioner, Spiritual/Research/Political/Cosmic Scientist, Analyst, Gynaecologist, Epidemiologist, Geostrategist, economic/political-Geographer, Geohumanist, Cosmologist, innovator and citizen-Economist)

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