एक बार वो ज्ञानी किसी पहाड़ी से गुजर रहा था, और रास्ते में उसे भूख लग आई। उसने इधर-उधर देखा, कुछ दूरी पर एक बुढ़िया पत्थरों के पीछे अपने लिए रोटी पका रही थी। ज्ञानी व्यक्ति उसके पास पहुंचा और उसने उससे अनुरोध किया- "माता जी! क्या आप मुझे भी एक रोटी खिला सकती हैं?"
बुढ़िया ने कहा- "जरूर।"
ज्ञानी ने कहा- "लेकिन, मेरे पास देने के लिए कुछ नहीं है। हां, ज्ञान है और यदि आप चाहें तो मैं आपको थोड़ा ज्ञान दे सकता हूं।"
बुढ़िया ने कहा- "ठीक है। तुम रोटी खा लो और मुझे मेरे एक सवाल का जवाब दे दो।"
ज्ञानी ने रोटी खाने के बाद बुढ़िया से कहा - "पूछिए अपना सवाल।"
बुढ़िया ने पूछा- "तुमने अभी-अभी जो रोटी खाई है, वो तुमने अतीत के मन से खाई है, वर्तमान के मन से खाई है या फिर भविष्य के मन से खाई है।"
वो ज्ञानी अटक गया। उसने अपनी पीठ से ज्ञान की बोरी उतारी और उसमें बुढ़िया के सवाल का जवाब तलाशने लगा। हजारों पन्ने पलटने के बाद भी उसे उसके सवाल का जवाब नहीं मिला।
बहुत देर हो चुकी थी।
बुढ़िया को लौटना था।
आखिर में उसने उस ज्ञानी से कहा- "तुम रहने दो। इस सवाल का जवाब इतना भी कठिन नहीं है।
जिंदगी में हर सवाल के जवाब कठिन नहीं होते हैं।
इसका तो बहुत ही सीधा सा जवाब है कि आदमी रोटी मुंह से खाता है! न कि अतीत, वर्तमान या भविष्य के मन से!
वो तो तुम ज्ञानी थे, बड़े आदमी थे और तुमने अपने ज्ञान के बूते खुद को दुरूह बना लिया है! इसलिए हर सवाल के जवाब तुम पीठ पर लदे ज्ञान के बोझ में तलाशते हो! वर्ना जिंदगी को सहज रूप में जीने के लिए तो सहज ज्ञान की ही दरकार होती है!"
कहानी से शिक्षा
सहजता से बढ़ कर जीवन को जीने का कोई भी दूसरा मूलमंत्र नहीं है। जो आदमी सहज होता है, वो संतोषी होता है। जीवन के सफर को सुखमय बनाने का यह सबसे आसान तरीका है। जो चीज जैसी है, उसे उसी तरह स्वीकार करने की कोशिश करनी चाहिए।
लोग भले ही कहें कि जो हम पाएंगे, वही देंगे। लेकिन, इसकी जगह हमें यह सोचना चाहिए कि जो हम देंगे, वही पाएंगे।
जीवन में हर सवाल का जवाब ज्ञान की पीठ पर सवार नहीं होता है!
Editorial Team
Aatmeeyataa Patrekaa
( X - @teamaatmeeyataa )
(स्रोत: सर्वाधिक प्रचारित लोकप्रिय भारतीय जनसाहित्य और इंटरनेट, सोशल मीडिया, व्हाट्सएप्प, और एक्स पर मुफ़्त में उपलब्ध छायाचित्र, चलचित्रिका और सामग्री)
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