किसान सड़क पे बैठा है,
सत्ता मस्ती जात नहीं !
खेती मेहनत मांगती है,
सब के बस की बात नहीं...!
झूठ में ये माहिर हैं,
अब तो ये जग जाहिर हैं,
राम भरोसे सखी रे देश ,
निर्णय में सब जाहिल हैं...!
कभी हैं जुमले कभी है आंसू,
दोनों दिखते हैं धांसू,
कुनबा सोच रहा होता है -
कौन से झांसे में फांसू ?
जनता फंसती ही जात,
विपक्ष की सीमित औकात,
आज़ादी में भी जन जन को,
आगे दीखे काली रात...!
शीर्षस्थ के चाबुकों को भी,
अब लग रही नज़र,
रातों रात में राजगद्दी या
रातों रात जाना है घर...!
'फ़ूट डालो राज करो' की
नीति पर ही जारी राज,
जनता की औकात है,
पर बंट जाने से हारी आज...!
जितने में आता है तेल,
उससे ज्यादा उस पे 'कर',
केंद्र हो या राज्य सरकारें,
दोनों ही लादे सखी री हम पर...!
नूरा कुश्ती के अखाड़े
रोज शाम सजे टीवी पर,
बिके हुए हैं एंकर
सार निकल न पात कहीं पर...!
मोबाइल में उलझे सारे,
सबके गर्दिश में सितारे,
पूंजी सबकी घट रही,
निवेश बंदिश में हैं सारे...!
कमाई पर संकट है भारी,
उस पे सताये महामारी,
महंगाई कमरतोड़ है,
रोजानदारी में आत न बारी...!
अंग्रेजों के जुल्म भी
आज के आगे लगते फीके,
बापू को फिर पूजे सखी री हम,
उनके पथ पे चलना सीखें...!
उनके पथ पे चलना सीखें सखी री,
सत्य अहिंसा की राह ही
हर बात का हल निकलवाएगी,
संभव होगा ये सब जब
सब सखियों में एकजुटता आयेगी...!
- आवेश हिंदुस्तानी 21.06.2021
(संपर्क सूत्र: व्हाटसऍप WhatsApp - +91 9765906498)
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