कोरोनाकाल में कौन है "पवार/पंवार/परमार" गौत्र का वो मसीहा जो भारत को "कोरोना" से बचाएगा और 21वीं सदी में विश्व गुरु बनाएगा?
*संत सूरदासजी की युद्ध और कोविड19 पर खतरनाक भविष्यवाणी हो रही वायरल, आखिर क्या है सच?*
सोशल मीडिया और इंटरनेट पर संत सूरदास के नाम पर एक भविष्यवाणी वायरल की जा रही है। इस भविष्यवाणी को आज के संदर्भ से विशेष कर कोरोनाकाल से जोड़कर कुछ लोग इसे वायरल कर रहे हैं। हालांकि इस भविष्यवाणी की सत्यता की पुष्टि करना मुश्किल है।
संत सूरदासजी का
जन्म मथुरा के रुनकता नाम के गांव में सन 1540 में हुआ। सुरदासजी जन्म से ही अंधे थे और वे श्रीकृष्ण के अनन्न भक्त थे। जानकार लोग कहते हैं कि यह पद सुरदासजी ने तब लिखा था जब मथुरा पर मुगलों का आक्रमण होने वाला था।
*_संत सूरदासजी के नाम से यह पद या कविता वायरल हो रही है-_*
*"रे मन धीरज क्यों न धरे,*
सम्वत दो हजार के ऊपर ऐसा जोग परे।
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण,
चहु दिशा काल फ़िरे।
अकाल मृत्यु जग माही व्यापै,
प्रजा बहुत मरे।
सवर्ण फूल वन पृथ्वी फुले,
धर्म की बैल बढ़े।
सहस्र वर्ष लग सतयुग व्यापै,
सुख की दया फिरे।
काल जाल से वही बचे,
जो गुरु ध्यान धरे।
सूरदास यह हरि की लीला,
टारे नाहि टरै।।
रे मन धीरज क्यों न धरे,
एक सहस्र, नौ सौ के ऊपर
ऐसो योग परे।
शुक्ल पक्ष जय नाम संवत्सर
छट सोमवार परे।
हलधर पूत पवार घर उपजे,
देहरी क्षेत्र धरे।
मलेच्छ राज्य की सगरी सेना, आप ही आप मरे।
सूर सबहि अनहौनी होई है,
जग में अकाल परे।
हिन्दू, मुगल तुरक सब नाशै,
कीट पंतंग जरे।
*मेघनाद रावण का बेटा* ,
*सो पुनि जन्म धरे* ।*
*पूरब पश्चिम उत्तर दक्खिन, चहु दिशि राज करे।*
संवत 2 हजार के उपर छप्पन वर्ष चढ़े।
पूरब पश्चिम उत्तर दक्खिन, चहु दिशि काल फिरे।
अकाल मृत्यु जग माहीं ब्यापै, परजा बहुत मरे।
दुष्ट दुष्ट को ऐसा काटे,
जैसे कीट जरे।
माघ मास संवत्सर व्यापे,
सावन ग्रहण परे।
उड़ि विमान अंबर में जावे,
गृह गृह युद्ध करे।
मारुत विष में फैंके जग, माहि परजा बहुत मरे।
द्वादश कोस शिखा को जाकी,
कंठ सू तेज धरे।
*सौ पे शुन्न शुन्न भीतर,*
*आगे योग परे।**
सहस्र वर्ष लों सतयुग बीते, धर्म की बेल चढ़े।
स्वर्ण फूल पृथ्वी पर फूले पुनि,
जग दशा फिरे।
*सूरदास होनी सो होई,*
*काहे को सोच करे!"*
*भविष्यवाणी का सार :*
भविष्वाणी का सार यह है कि विक्रम संवत 1900 के बाद ऐसा समय आएगा कि चारों ओर मारकाट मचेगी। उस वक्त जय नामक संवत्सर होगा। हिन्दू, तुर्क, मुगल सभी कीट-पतंगों की तरह मरेंगे। अकाल और सूखा होगा। मलेच्छ राज्य की सभी सेना अपने आप ही मारी जाएगी। *रावण का बेटा मेघनाद पुन: जन्म लेगा और तब भयंकर समय होगा। कौन है यह मेघनाद? क्या मेघनाद ने चीन के राष्ट्रपति के रूप में जन्म लिया है? चीन के लोग भी रावण/मेघनाद की ही भांति ईश्वर को नहीं मानते हैं। आज अमेरिका लडखडा चुका है और चीन का पूरे विश्व में बोलबाला है। या फिर यहां नरेंद्र मोदी की तरफ ईशारा है? क्योंकि जैसे रावण केवल अपनी ही जयजयकार करवाता था वैसे ही नरेंद्र मोदी ने भी अपने अंध भक्तों द्वारा लोकसभा चुनाव 2019 में वाराणसी में "राम" नाम का गुणगान करवाने या "हर हर महादेव " की बजाय खुद का ही "हर हर मोदी" वाला जयकारा लगवाया ।*
सूरदासजी कह रहे हैं कि हे मन तू धैर्य क्यों नहीं रख रहा, संवत 2000 में ऐसा भयंकर समय आएगा जिसमें जिसमे चारों दिशाओं में काल का तांडव होगा, हर जगह अकाल मृत्यु यानी बेमौत मारे जाएंगे। इस भयंकर समय में प्रजा बहुत मरेगी। पृथ्वी पर युद्ध जैसी तबाही होगी जिसमें बड़ी संख्या में लोग मरेंगे। उसके बाद "हलधर पूत *पवार* घर उपजे, *देहरी* क्षेत्र धरे" अर्थात एक *हलधर (किसान)* जिसका गौत्र
" *पवार"(पंवार/परमार)* होगा उस किसान के घर एक *"पूत" (पुत्र/महात्मा)* पैदा होगा जो *देहरी*( *देहली/* *दिल्ली* ) को अपना *क्षेत्र*( *निवासस्थान* *)* बनाएगा और शांति और भाई चारा स्थापित करेगा।
*कौन है यह परमार गौत्र का धर्मात्मा जो इस विनाशकारी समय को वश में करेगा और लोगों को धर्मज्ञान की शिक्षा देगा?*
इस भविष्यवाणी में जिस महान आध्यात्मिक नेता की बात की जा रही है कुछ लोग उसे अपने अपने गुरु से जोड़कर देखते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि यह भविष्यवाणी संत रामपाल और कुछ लोग इसे बाबा जयगुरुदेव से जोड़कर देखते हैं।
*"काल जाल से वही बचे,*
*जो गुरु ध्यान धरे।"** का अर्थ है कि *कोरोनाकाल में अधिकांश वही लोग जीवित बचेंगे जो सच्चे अध्यात्मिक मार्ग पर चल रहे हैं।*
उल्लेखनीय है कि उपरोक्त छंदों में जिन संवतों का उल्लेख किया गया है वह काल व्यतीत हो चुका है। जैसे संवत् 2000 के ऊपर ऐसा जोग परे जिसका अर्थ है कि अंग्रेजी सन के अनुसार 1942 के बाद ऐसा होगा। दूसरे छंद में "एक सहस्र, नौ सौ (1900) के ऊपर ऐसो योग परे।
शुक्ल पक्ष जय नाम संवत्सर छट सोमवार परे।" अर्थात संवत 1900 अर्थात अंग्रेजी सन् 1842 में यह स्थिति थी। तीसरा छंद में कहा गया है कि संवत 2 हजार के ऊपर छप्पन वर्ष चढ़े अर्थात अंग्रेजी सन 1998 ईस्वी में यह घटना घट चुकी है।
1842 के बाद भारत में अंग्रेजों के खिलाफ असंतोष पनना और 1857 में क्रांति हुई जो असफल हो गई। फिर 1942 में स्वतंत्रता आंदोलन चला और दुनियाभर में मारकाट मची थी। महात्मा गांधी और सुभाषचंद्र बोस के नेतृत्व में भारत को आजादी मिली लेकिन विभाजन और दंगे का दर्द भी सहा।
1998 के बाद भारत में पविवर्तन की लहर तेजी से फैल रही है।
*इस बीच कौन है "पवार/पंवार/परमार" गौत्र का वो मसीहा जो भारत को 21वीं सदी में विश्व गुरु बनाएगा?*
हालांकि इस भविष्यवाणी की सत्यता की पुष्टि करना मुश्किल है। साथ ही यह भी कहना मुश्किल है कि उपरोक्त छंद सुरदासजी ने कब और किस संदर्भ में लिखे थे।
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