देखते ही देखते जवान मां-बाप बूढ़े हो जाते हैं... (अंतर्राष्ट्रीय मातृ-पितृ दिवस पर विशेष पेशकश)

...और देखते ही देखते
जवान मां-बाप बूढ़े हो जाते हैं...

सुबह की सैर में
कभी चक्कर खा जाते हैं,
सारे मोहल्ले को पता होता है
पर बच्चों से ही छुपाते हैं,
दिन प्रतिदिन
अपनी खुराक घटाते हैं,
और तबियत ठीक होने की बात
फोन पर ही बताते हैं,
ढीले हो गए कपड़ों को
टाइट करवाते हैं, 
और देखते ही देखते 
जवान मां-बाप बूढ़े हो जाते हैं...

किसी के देहांत की खबर
सुनकर घबराते हैं,
और अपने परहेजों की 
संख्या बढ़ाते रहते हैं,
हमारे मोटापे पर
हिदायतों के ढेर लगाते हैं,
और रोज की वर्जिश के
फायदे गिनाते हैं,
तंदुरुस्ती हजार नियामत 
हर दफे बताते हैं,
और देखते ही देखते
जवान मां-बाप बूढ़े हो जाते हैं...

हर साल बड़े शौक से
अपने बैंक जाते हैं,
और अपने जिंदा होने का
सबूत देकर हर्षाते हैं,
जरा सी बढ़ी पेंशन पर
फूले नहीं समाते हैं,
और FIXED DEPOSIT
RENEW करते जाते हैं,
खुद के लिए नहीं
बच्चों के लिए ही बचाते हैं,
और देखते ही देखते
जवान मां-बाप बूढ़े हो जाते हैं...

चीजें रखकर अब 
अक्सर भूल जाते हैं,
फिर उन्हें ढूंढ़ने में 
सारा घर सर पर उठाते हैं,
एक दूजे को 
बात-बात में हड़काते हैं,
पर एक दूजे से अलग भी
नहीं रह पाते हैं,
एक ही किस्से को 
बार-बार दोहराते हैं,
और देखते ही देखते
जवान मां-बाप बूढ़े हो जाते हैं...

चश्में से भी अब
ठीक से नहीं देख पाते हैं,
बीमारी में दवा लेने में 
नखरे दिखाते हैं,
एलोपैथी के बहुत सारे 
साइड इफैक्ट बताते हैं,
और होमियोपैथी/आयुर्वेदिक की ही 
रट लगाते हैं,
जरूरी ऑपरेशन को भी 
-और आगे टलवाते हैं,
-और देखते ही देखते 
-जवान मां-बाप बूढ़े हो जाते हैं...

उड़द की दाल अब
नहीं पचा पाते हैं,
लौकी तुरई और धुली मूंगदाल ही 
अधिकतर खाते हैं,
दांतों में अटके खाने को
तिली से खुजलाते हैं,
पर डेंटिस्ट के पास जाने से 
बहुत ही कतराते हैं,
'काम चल तो रहा है'
की ही धुन लगाते हैं,
और देखते ही देखते
जवान मां-बाप बूढ़े हो जाते हैं...

हर त्यौहार पर हमारे
आने की बाट देखते हैं,
और अपने पुराने घर को
नई दुल्हन सा चमकाते हैं,
हमारी पसंदीदा चीजों के 
ढेर लगाते हैं,
हर छोटी और बड़ी फर्माइश 
पूरी करने के लिए
मां रसोई और पापा बाजार 
दौड़े चले जाते हैं,
पोते और पोतियों से मिलने को
कितने ही आंसू टपकाते हैं,
और देखते ही देखते 
जवान मां-बाप बूढ़े हो जाते हैं...
...देखते ही देखते
जवान मां-बाप बूढ़े हो जाते हैं...
(स्रोत: भारतीय जनकाव्य) 

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