क्या यह बात सच नहीं है कि अरविंद केजरीवाल और उसकी पत्नी सुनीता ने अरविंद केजरीवाल के पिछले मुख्यमंत्री-काल में नाजायज़ सरकारी फायदा उठाया?

क्या यह बात सच नहीं है कि अरविंद केजरीवाल और उसकी पत्नी सुनीता ने अरविंद केजरीवाल के  पिछले मुख्यमंत्री-काल में  नाजायज़ सरकारी फायदा उठाया?

डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी की अंग्रेजी भाषा भाषा में प्रकाशित पुस्तक "The vasudhiotic world government and the great Indian dream of paramtantrataa" के  पन्ना संख्या 129/130 के मुताबिक अरविंद केजरीवाल और उसकी पत्नी ने आम आदमी पार्टी की पिछली सरकार में अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री-काल में  नाजायज़ सरकारी फायदा उठाया है। 
अरविंद केजरीवाल ने अपने पिछले मुख्यमंत्री-काल में  दिल्ली की सरकार से लगजरीयस रिहायशी फ्लेट की मांग की थी। उस वक्त उसकी पत्नी सरकारी नौकरी में थी, तो भी उसकी पत्नी को बतौर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी, उसकी पत्नी से भी ज्यादा सीनियर सरकारी अफसरों ने उसकी पत्नी को गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर राजकीय सम्मान दिया था जबकि सरकारी नौकरी के नियमों के अनुसार उसकी पत्नी अपने से सीनियर अफसरों से राजकीय सम्मान पाने की कदापि अधिकारी नहीं थी। उसकी पत्नी को चाहिए था कि वह अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनते ही सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे देती। मगर उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया। तो सवाल उठता है कि अरविंद केजरीवाल अपने आप को एक आम आदमी कहलाने का हक़दार किस तरह से  हुआ?
हाँ, यह बात सच है कि बाद में अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनने के कई साल बाद उसकी पत्नी सुनीता ने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था। मगर वह भी जब उसने पेंशन की हकदार होने के लिए बीस साल की नौकरी पूरी कर ली थीयह कहना अब मुश्किल है कि उन्होने नौकरी किस वजह से छोडी। 
गौर तलब बात है कि वी आई पी कल्चर की यह खौफनाक बीमारी अमूमन हरेक सियासी पार्टी में है। इस बीमारी से ज्यादातर सियासदान बीमार हैं। सवाल यह है कि क्या यह एक लाईलाज बीमारी है? लाईलाज तो नहीं है, मगर इंसानी फितरत ही ऐसी है कि हाथ में सत्ता आते ही ज्यादातर सियासदान अपने होशो हवाश खो बैठते हैं। उन्हें जाने अनजाने में लगने लगता है कि वे सत्ता में हमेशा बने रहेंगे तो बेखौफ़ सरकारी खजाने को लूटते रहो,सरकारी खर्च पर सब मजे लेते रहो या फिर कि जब पांच साल बाद हाथ में सत्ता रहने की कोई गारंटी ही नहीं है तो क्यों न सरकारी खजाने को इन पांच सालों में लूट लिया जाए! 

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