भगवान की सेवा

एक बार मोची का काम करने वाले एक व्यक्ति को रात में भगवान ने उसके स्वप्न में कहा- कल सुबह मैं तुझसे मिलने तेरी दुकान पर आऊंगा।

मोची की दुकान काफी छोटी थी और उसकी आमदनी भी काफी सीमित थी। खाना खाने के बर्तन भी थोड़े से ही थे। इसके बावजूद वो अपनी जिंदगी से खुश रहता था। वो एक सच्चा, ईमानदार और परोपकार करने वाला इंसान था, इसलिए भगवान ने उसकी परीक्षा लेने का निर्णय लिया।

मोची ने सुबह उठते ही तैयारी शुरू कर दी। भगवान को चाय पिलाने के लिए दूध, चायपत्ती और नाश्ते के लिए मिठाई ले आया। दुकान को साफ कर वो भगवान का इंतजार करने लगा।

उस दिन सुबह से भारी बारिश हो रही थी। थोड़ी देर में उसने देखा कि एक सफाई करने वाली बारिश के पानी‌ में भीगकर ठिठुर रही है। मोची को उसके ऊपर बड़ी दया आई और भगवान के लिए लाए गए दूध में से उसको चाय बनाकर पिलाई। दिन गुजरने लगा।

दोपहर में एक महिला बच्चे को लेकर आई और बोली- मेरा बच्चा भूखा है इसलिए पीने के लिए दूध चाहिए।

मोची ने बचा हुआ सारा दूध उस बच्चे को पीने के लिए दे दिया।

इस तरह से शाम हो गई। मोची दिन भर बड़ी बेसब्री से भगवान का इंतजार करता रहा। तभी एक बूढ़ा आदमी, जो चलने से लाचार था, आया और बोला- मैं भूखा हूं, और अगर कुछ खाने को मिल जाए तो बड़ी मेहरबानी होगी।

मोची ने उसकी बेबसी को समझते हुए, सारी मिठाई उसको दे दी। इस प्रकार दिन बीत गया और रात हो गई।

रात होते ही मोची के सब्र का बांध टूट गया और वो भगवान को उलाहना देते हुए बोला- वाह रे भगवान! सुबह से रात कर दी मैंने तेरे इंतजार में, लेकिन तू वादा करने के बाद भी नहीं आया। क्या मैं गरीब ही तुझे बेवकूफ बनाने के लिए मिला था?

तभी आकाशवाणी हुई और भगवान ने कहा- मैं आज तेरे पास एक बार नहीं तीन बार आया था और तीनों बार तेरी सेवाओं से बहुत खुश हुआ और तू मेरी परीक्षा में भी पास हुआ है। क्योंकि तेरे मन में परोपकार और त्याग का भाव सामान्य मानव की सीमाओं से परे है।

------ तात्पर्य ------

भगवान ना जाने किस रूप में हमसे मिल लें, हम नहीं जान पाते हैं। इसलिए कहते है कि इंसानियत और मानव सेवा ही भगवान की सेवा होती है।

(स्रोत: भारतीय लोकश्रुतियाँ) 

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