SPECIAL REPORT FROM EDITORIAL DESK ON INTERNATIONAL YOGA DAY: क्या प्राणायाम करने के लिए "ओम" बोलना जरूरी है? नहीं!!!
डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी ने दुनिया में पहली बार आज से 8-9 साल पहले योग वेबसाइट my.yoga-vidya.org पर अपने ब्लॉग में बताया था कि प्राणायाम करने के लिए "ओम" बोलना जरूरी नहीं है।"
उन्होंने स्पष्ट किया था,"...प्राणायाम करते समय "अल्लाह", "जीसस", "गाॅड" वगैरह किसी भी शब्द का उच्चारण करेंगे तो भी उतना ही सकारात्मक परिणाम मिलेगा जितना कि "ओम" बोलने से।"
वह कहते हैं,"...प्राणायाम या प्राणायाम की अनुलोम-विलोम जैसी क्रियाएं किसी खास मजहब से नहीं जुड़ी हैं।
प्राणायाम या योग अपने आप में ही सबसे सर्वश्रेष्ठ धर्म है क्योंकि इसका आधार "सासं" है जो कि प्रत्येक व्यक्ति में चलती है।
सांसों का किसी के साथ कोई झगड़ा नहीं है।
चाहे आप "अल्लाह" बोलें, "ओम" बोलें, "वाहे गुरू" बोलें या कोई ओर लफज, आपको सांसे तो लेनी और छोड़नी पड़ती ही हैं।
जब श्वास का कोई धर्म नहीं तो योग और प्राणायाम को आप कैसे "हिन्दुत्व" जैसी किसी संस्थागत धर्म विशेष की विचारधारा से जोड़ सकते हैं?
प्राणायाम किसी भी तथाकथित संस्थागत धर्म विशेष की निजी संपत्ति नहीं है।
प्राणायाम में सासं को ही शरीर के अंदर और बाहर ले जाना होता है।
सांसों के बिना जीवन नहीं। जब तक सांस चल रही है तब तक दुनियादारी का तमाशा चल रहा है। तब तक आप अपने आप को "हिंदू" या "मुसलमान" कहलवाने में गर्व महसूस कर रहे हैं।
जिस दिन शरीर से सांस निकल गई उस दिन "हिन्दू", "मुसलमान", "ईसाई " वगैरह की विभिन्नता का अभिमान और झगड़ा भी खत्म हो जाता है। पीछे रह जाता है तो केवल एक निर्जीव मिट्टी का पुतला जिसे हर कोई जीवित परिचित शीघ्रताशीघ्र ठिकाने लगाने को उत्सुक हो जाता है।
जब तक सांस चल रही है तब तक ही यह झगड़ा आत्मा की शांति भंग करने में कामयाब रहता है।
संक्षेप में, कह सकते हैं कि श्वास ही परम धर्म है।दूसरे शब्दों
में इसे यूं भी कह सकते हैं - योग परमो धर्म:।"
आशा है कि दुनियाभर के तमाम योग-प्रेमिकाएं और योग- प्रेमी योग की श्रेष्ठता को समझेंगे, आत्मसात करेंगे, और इसे किसी धार्मिक विचारधारा का गुलाम बनाने से परहेज करेंगे। तभी यह महान वैज्ञानिक पद्धति पूरे विश्व में स्वीकार्य हो कर समग्र जनकल्याण कर पाएगी और कोविड जैसी महामारीजनित विपदाओं से पृथ्वी को मुक्त कर पाएगी...!
- सुजाता कुमारी
(अंतर्राष्ट्रीय योगदिवस २१ जून २०२१ पर विशेष रपट)
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