जानिए कि क्यों भारत में तीन-चार महीने बाद कोविड की तीसरी लहर आने की तीव्र संभावना है और इसे रोकने का कौन सा मूल मंत्र है!

डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी ने भारत में कोविड की तीसरी लहर आने की आशंका जताई है।

उन्होंने कहा कि तीसरी लहर की संभावना का बहुत ही सरल गणित है।

उनके अनुसार गत वर्ष 2020 में अनवरत लाॅकडाउनों और सभी के द्वारा बरती गई सावधानियों ने भारत में ज्यादा  लोगों के प्राण पखेरू नहीं उड़ने दिए।

इस वर्ष के आरंभ से गत वर्ष की भांति ही कोरोना19 वायरस भारत की हवाओं में बैखोफ विचरण कर रहा है।  

परंतु, लोगों ने सोचा कि अब कोरोना समाप्त हो गया है। वे असावधान हो गए। आपस में मेलमिलाप के समय माॅस्क और शारीरिक दूरी को तिलांजली दे दी. जबकि सच इसके ठीक विपरीत था. यह भयानक बहुरूपिया वायरस सब जगह बेरोक-टोक घूम रहा था अपने अगले शिकारों की तलाश में. परिणाम स्वरूप संक्रमित मरीजों से यह वायरस स्वस्थ आबादी के एक बड़े  हिस्से में घुसपैठ कर गया.

लोगों की लापरवाही और सरकार की गलत कोविड टीकाकरण की नीति ने कोविड की पहले से भी पांच गुना ज्यादा खतरनाक सुनामी की लहर भारत में ला दी.

दूसरी लहर की चपेट में आ कर आबादी के अधिकांश भाग में कोविड की प्रतिरोधक एंटी बाॅडीज बन गई हैं जो उन्हें अगले चार से छह माह तक तो बचाए ही रखेंगी.

मार्च 2021 के तीसरे सप्ताह में आई कोविड लहर ने अप्रैल और मई की शुरुआत में हाहाकार मचा दिया. हर दिन लाखों-लाख संक्रमित होने और तीन-चार हजार मरने लगे.

सरकारों ने दूसरी लहर को रोकने के लिए लाॅकडाउन जैसी पाबंदियां लगा दीं. इससे संक्रमण पूरी तरह फैलने से रूक गया. साथ ही आबादी का एक छोटा सा हिस्सा संक्रमित होने से बच गया.

अब जब एक-दो महीने बाद पाबंदियां हटेंगी तब जनता फिर से सावधानियां भूल कर या त्याग कर आपस में मेलमिलाप करने लगेगी. इस समय में वे लोग तो सुरक्षित रहेंगे जिनके शरीर में दूसरी लहर में एंटी बाॅडीज बन गई थीं. लेकिन, दूसरी लहर में सुरक्षित रहा आबादी का वह छोटा सा हिस्सा अब जाने-अनजाने संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने से कोविड की चपेट में आ सकता है. क्योंकि दूसरी लहर में सुरक्षित रहा यह हिस्सा कुल आबादी  का बहुत ही छोटा अंश है, तीसरी लहर में दुसरी लहर जैसा कहर नहीं होगा. हां, इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि तीसरी लहर में भी इस छोटे से हिस्से में कुछ लोग ऐसे भी रहेंगे जो अपनी विलक्षण प्रतिरोधक क्षमता या उचित समय पर कोविड से बचाव के लिए दवाईयां खा कर कोविड से पूर्ण रूपेण सुरक्षित रहेंगें.

कुल मिलाकर,  तीसरी लहर का आना तर्कसंगत है. परंतु, यह बहुत ही हल्की और छोटी रहेगी. तो भी 130 करोड़ से अधिक आबादी वाले भारत के हिसाब से यह छोटा हिस्सा भी कई करोड़ की संख्या में है. इसलिए, किसी भी प्रकार की ढील नहीं चलेगी.

डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी ने कहा," 'टीका और दवाई भी, साथ ही कड़ाई भी' ही अब हमारा मूल मंत्र होना चाहिए जो भारत में तीसरी लहर में होने वाले संक्रमितों और मृत्य दर को बहुत ही कम कर देगा."

- विशेष रपट 

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