यदि आप भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी का कुछ भला करेंगें तो बदले मे आपको क्या मिलेगा? एक बडा सा ठेंगा! (व्यंग्यात्मक आलोचना)

यदि आप भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र  दामोदरदास मोदी का कुछ भला करेंगे तो बद्ले मे आपको क्या मिलेगा? एक बडा सा ठेंगा👎! 

यदि विशवास नहीं है तो डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी से ही पूछ लीजीए जिनके कारण आज प्रधान मंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जिन्दा है। 
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने इस अच्छे काम के बदले  मे डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी का कुछ भी भला नहीं किया! कमाल है भई! 
इंसान से तो कुत्ता ही अच्छा है जो कि अपने मालिक का सदैव ही स्वामीभक्त बन कर रहता है।  
संभवतः इसे ही विशुद्ध राजनीति कहते हैं कि कोई आपका भला करे तो आप उस भला करने वाले का कभी भूल कर भी भला नहीं करो!
साक्ष्य के रूप में डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी की नीचे के स्क्रिन शाॅटस में दिख रही मई महीने की साल २०१४ की अंग्रेजी भाषा में प्रसारित की गई ट्विटस पढिए जो उन्होंने @rammadhavrss @BHP4India @BJPRajanathSingh को टैग कर के प्रसारित की थीं। आप भी थोडी सी ट्विटर पर रॆसर्च करेंगें तो आपको भी ये ट्विटस पढने के लिए मिल ही जाएँगी! जैसै कि 
(१) "@rammadhavrss @BHP4India @BJPRajanathSingh SAINT HAD TOLD @Aprtemaanandaa that @narendramodi SHALL BE SHOT DEAD BEFOR BEING PM! #Results2014" 
(२) "@rammadhavrss @BHP4India @BJPRajanathSingh SAINT HAD TOLD @Aprtemaanandaa NOT TO INTERFERE IN DESTINY OF @narendramodi! #Results2014" 
(३) "SO, @Aprtemaanandaa AS #indian is worried about security of ANOTHER FELLOW #INDIAN WHO HAPPENS TO BE @Narendramodi! #LokSabha2014 #CBI #RAW
(4) "@rammadhavrss @BHP4India @BJPRajanathSingh INDIAN GOVT MUST IMMEDIATELY GIVE TOPTHREE LAYERED SECURITY COVER TO @narendramodi! #Results2014" 
क्या होता है जब आप प्रकृति के काम में व्यवधान उत्पन्न करते हैं? होता यह है कि प्रकृति भी आपसे अप्रसन्न हो कर, रूठ कर आपसे से आपको वर्तमान और भावी जीवन में मिलने वाले बहुत सारे सुख छीन लेती है। संभवतः डॉ स्वामी अप्रतिमानंदाजी के साथ भी यही परिणाम हुआ है नरेंद्र दामोदरदास मोदी के प्राणों की रक्षा करने के बदले में...!
सीख: प्रकृति के कार्य में व्यवधान उत्पन्न मत करो।














चलिए, चलते चलते आपका थोडा सा ज्ञानवर्धन भी हो जाए! 
यदि अब भी आपको मेरे इस तुच्छ विश्लेषण पर भरोसा नहीं आ रहा हो तो रूस और अमेरिकी राष्ट्रपतियों से पूछ लीजीए। साऊदी अरब के बादशाह से पूछ लीजीए। 
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस सम्मोहक शख्स को रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'दी ऑर्डर ऑफ सेंट एंडरीव दी अपोसल" से सम्मानित किया। 
साऊदी बादशाह ने इसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'काॅलर ऑफ दी ऑर्डर ऑफ अब्दुल अजीज अल साऊद" से नवाजा।
और अमेरिका के राष्ट्रपति महामहिम डोनाल्ड ट्रंप ने तो सारी हदें ही पार कर दीं। उन्होंने इन महोदय को अमेरीका का सर्वोच्च सैन्य सम्मान "दी लीजन ऑफ मेरीट" ही दे डाला जो कि अमेरिका के सैनिकों को उनकी विलक्षण सेवाओं और उपलब्धियों के लिए दिया जाता है। 
अब भला हम कौन होते हैं यह पूछने वाले कि क्या यह महोदय अमेरिका की सेना में नौकरी कर रहा है, क्या इन महोदय ने अब अमेरिका की नागरिकता ले ली है भारत के प्रधान मंत्री पद पर आसीन होते हुए भी...?
हम कहाँ भटक गए यार! 
बात यह है कि इन तीनों महान हस्तियों ने मनोहारी सुंदर सपने संजोए होंगे कि यह वयक्ति इन्हें भी बदले में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" और सैन्य सम्मान "परमवीर चक्र" से सम्मानित करेगा।
                                                बेचारे! 
इन ज्ञानियों को यह बात समझ में नहीं आई कि यह शुद्ध कर्मयोगी तो गीता में अर्जुन को कही गई श्री कृष्ण की 
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥" वाली शिक्षा का अक्षरशः (Literal) पालन करता है कि "कर्म किए जा (अर्थात् मुझे सम्मानित करने का कर्म किए जाओ), फल की इच्छा मत कर ए इंसान (अर्थात्  बदले में मुझ से भारत के सर्वोच्च सम्मान प्राप्त करने की  इच्छा मत कर)। जो जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान (अर्थात्  मैं तुम्हें भारत का कोई भी सर्वोच्च सम्मान नहीं दूंगा क्योंकि फल तो केवल भगवान ही दे सकते हैं)।" 
तदनुसार, यह विदेशियों के  सर्वोच्च सम्मान आतुरता से ग्रहण करता है और बदले में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान प्रदान नहीं करता है।   
तो आजकल इन तीनों दिग्गजों को सपने में क्या दृष्टिगोचर हो रहा है संभवतः? भारत रत्न? परमवीर चक्र? नहीं! 

एक बडा सा ठेंगा👎! 

प्रतीत होता है कि विदेशियों ने अपनी मनोवैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में गहन शोध उपरांत यह निष्कर्ष निकाला है कि इसकी सबसे बड़ी कमजोरी है - "इसे सर्वोच्च सम्मान दो और बदले में इससे मनचाहे कार्य करवा लो!" यथा - रक्षा उपकरणों और अन्य सैन्य सामानों की भारतीय सेना को आपूर्ति के बड़े बड़े ऑर्डर हस्तगत कर लो, आदि।
विगत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी बंगाल के नवाबों और उनके शोहदों को समय-समय पर महंगे उपहार दे कर उन्हें अपने इंद्रजाल में उलझा कर एक दिन स्वयं बंगाल और शेष भारत की नवाब बन बैठी थी!
तो क्या आप और हम सभी को आज पहले की अपेक्षा कहीं अधिक सतर्क रहना होगा कि विदेशियों के सर्वोच्च सम्मान रूपेण उपहारों के बोझ तले दबा यह शख्स कहीं  जाने-अनजाने में इन विदेशी व्यापारियों के हाथों भारत को ही न बेच खाए? और बदले में हम सभी देशवासियों को भी मिले 

एक बडा सा ठेंगा👎! 

अति महाबुद्धिमानों से व्याप्त इस चराचर अखिल ब्रह्मांड में डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी जैसे महामूर्खों की भी कोई कमी नहीं है। ये परोपकारी जीव ऐसे महामूर्ख होते हैं जो ओरों पर उपकार करने के चक्कर में स्वयं अपने ही पांवों में कुल्हाड़ी मार लेते हैं और बदले में पाते हैं -

एक बडा सा ठेंगा👎! 

 ...!
-  स्वामी मूर्खनंद जी "चाणक्य"

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