ये महाअकरमण्य,
तभी तो आधुनिक
महादुष्टों के अमानवीय ये निर्णय -
1.बंद देवालय, खुले मदिरालय?
2.चाय नाश्ते की दुकाने बंद, दारु की हुई शुरु फैलनी दुर्गध?
3.कुत्ते, सांप, शेर इंसानों को गावों बस्तियों शहरों में काटे खायें,
इन्सान इनका कुछ करे
तो अपराधी माना जाये?
4."अन्धविश्वास पर रोक" के
कानून के बावजूद टीवी पर
बाबियों-बाबाओं का बेरोक टोक
अन्धविश्वास फैलाना जारी रहे,
फिर भी कोई कुछ न कहे?
और न ही इन बाबा-बाबियों
को रहे कोई रोक पा...!
5.सट्टे जुए पर पाबंदी के बावजूद
टीवी पर नेट पर धडल्ले से
इनकी रही धूम हमें क्या बता?
6.विज्ञापन 25% से कम अपेक्षित है,
आज 50% से ज्यादा है,
फिर भी सरकारी छूटें मिलती रहती
क्यों इन सभी खबरी संस्थानों को ?
लुटा रही क्यों सरकारें
फिजूल में ईशतहारों पर
जनता के संसाधनों को?
...सूची लम्बी है,
आज इतना ही।
बाकी बाद में,
करें कड़ा जी...!
- आवेश हिंदुस्तानी
(संपर्क सूत्र: व्हाटसऍप WhatsApp - +91 9765906498)
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