" सहजो, मौत के समय पीड़ा उठे अपार! बिच्छू सात हजार जो डंक मारें एक साथ" - अध्यात्म

" सहजो, मौत के समय
पीड़ा उठे अपार!
बिच्छू सात हजार
जो डंक मारें एक साथ"

एक बहुत ही पहुंचे हुए महात्मा जी एक बार अपने सत्संग में समझा रहे थे- अंतिम समय पर आकर वो यमदूत खड़ा हो जाएगा और कहेगा कि छोड़ो मकान को
तब एक मिनट भी नहीं रह सकते।
यमदूतों को देखकर रूह फना हो जाएगी और एक मिनट में खून पानी हो जाएगा।
बस! जमीन पर गिर गए।
कोई रक्षक नहीं।
तुम्हें पकड़कर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा।
मजिस्ट्रेट ने पूछा- तुमने क्या-क्या किया?
जैसे पुलिस मजिस्ट्रेट के पास ले जाने से पहले और फिर बाद में मारती है वैसे ही वहां भी तुम्हारी पिटाई होगी।
पूछा जाएगा कि कितनी गाय, बकरी या मुर्गी वगैरह खाई?
आपने कहा- याद नहीं।
मुनीम बुलाया जाएगा और वो बताएगा कि इतना पाप किया था और फिर तस्वीर भी दिखाएगा कि कब काटा और कहां काटा।
कैसे हा-हा करते रहे और कहते रहे कि सदा खुश हो जाओगे।
वो मुनीम दिखाएगा कि ऐसे-ऐसे मार रहे थे और वो तड़प रहा था।
मजिस्ट्रेट ने सजा सुनाई- एक या दो करोड़ वर्षों के लिए नर्क में ले जाओ।
वहां ना तो कोई राजा है, ना हिंदू है, ना मुसलमान है और ना ही कोई पारसी है।
क्या यह सब बातें झूठ हैं?
यह मानव शरीर बड़े ही भाग्य से मिलता है और इसी में बैठकर लोगों ने परमात्मा को पाया है और इसी में स्वर्ग या नर्क दोनों के लिए ही सीढ़ी रहती है।
अगर तुमने इससे बुरा काम किया तो सांप में, गोजर में, कुत्ते में, बिल्ली में, चूहे में या फिर बकरी आदि में तुम्हें बंद कर दिया जाएगा।
आज आप सेठ हो कल गधे भी बन सकते हो।
इसलिए थोड़ा सा ही समय बचा है इससे काम ले लो।
अगर अशुद्ध हो गए तो तुम्हारा विनाश हो जाएगा।
बुरे संग से सदा बचते रहो।
वासनाओं की आंधी चल रही है इसलिए सत्संग में बराबर आते-जाते  रहो और सत्संग के वचनों को याद करते रहो।
भजन-सिमरन, ध्यान और सत्संग से ही शुद्ध सफाई होगी।
दया बराबर हो रही है लेकिन तुम लेते नहीं हो।
घाट पर बैठोगे तभी दया का परिचय मिलेगा।
आलस छोड़ो क्योंकी आलस से बहुत बड़ा नुकसान होता है।
(स्रोत: अज्ञात)
(Foto: Courtesy www.tanishq.co.in)

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