सनातन जीवन पद्धति का अर्थ हिंसा और हिंदुत्व नहीं है !

"आचार: परमो धर्म" के अंतर्गत ही आता है "अहिंसा परमो धर्मः" का परम् विचार ! हिंसा मात्र पर आधारित विचार कभी भी किसी भी प्रकार के सदाचार का हिस्सा नहीं हो सकता ! यदि अहिंसा न होगी तो विश्व में सर्वत्र भयानक रक्तपात का सतत तांडव नृत्य होगा !
यह सच है कि दुनिया में आज भी कुछ निहित स्वार्थी तत्व बात तो अहिंसा की करते हैं पर करते ठीक इसके उलटे हिंसा ही है!
भारतीय उपमहाद्वीप की वास्तविक सांस्कृतिक जीवन पद्धति तो 'सनातन' जीवन पद्धति है जो कि उदार है ,  अहिंसा की पुजारी है , सभी को जीवन जीने का हक देनेवाली है , विशाल है , सभी विचारधाराओं को अपने आप में समाहित करने वाली शाश्वत अविरल बहती ज्ञान - गंगा है … ! अतः हम सब 'सनातनी' हैं!

 हिंदू शब्द फ़ारसी भाषा से उपजा विदेशी शब्द है जो कुछ राजनैतिक लोगों ने तोड़ मरोड़ कर 'हिंदुत्व' की संकीर्ण परिभाषा के रूप में, एक  राजनैतिक भौगोलिक इकाई विशेष में रहने वाले लोगों के लिए इस्तेमाल किया है. हमारे  पुराणों , वेदों और उपनिषदों आदि आध्यात्मिक ग्रंथों में कहीं भी इन भ्रामक 'हिंदू' और 'हिंदुत्व' शब्दों का उल्लेख तक नहीं है !
उपरोक्त संक्षेप विश्लेषण से स्पष्ट है कि भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों को 'सनातनी' कहना सर्वथा उचित है , जबकि 'हिंदू' कहना सर्वथा गलत है! 
अतः हम तथाकथित 'हिन्दू' नहीं, अपितु 'सनातनी' हैं! समय आ गया है कि हम अपने ऊपर विदेशियों द्वारा थोपे गए तथाकथित 'हिंदू' लेबल को उतार फेंकें और गर्व से कहें - 'मैं सनातनी हूँ'... !


~ डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी 

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