कौन सी राजनीति अच्छी होती है?

अच्छी राजनीति वही होती है जिसमें हर नागरिक की पूरी भलाई की जाती है और हर नागरिक पूरी तरह शासन व प्रशासन से खुश और संतुष्ट रहता है! यह सच है कि रामराज्य में भी हर व्यक्ति पूरी तरह संतुष्ट नहीं था। उदाहरणतः वह धोबी जिसने यह कह कर अपनी पत्नी को घर से निकाल दिया था कि वह राम की तरह नहीं है जो पराये पुरुष रावण के पास रह कर आई सीता को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर ले। परंतु , मेरी कल्पना का राज्य तो राम राज्य से भी अच्छा होगा। उदाहरणतः उसमें किसी सीता को अग्नि - परीक्षा से नहीं गुजरना पड़ेगा। किसी उर्मिला को विवश हो कर अपने पति लक्ष्मण से १४ वर्षों तक दूर नहीं रहना पड़ेगा। रावण जैसे किसी भी प्रकार के आतंकवादी को पनपने ही नहीं दिया जाएगा। राजनीतिज्ञ पूर्णरूपेण जनकल्याण को समर्पित व्यक्ति होंगें। शासन/प्रशासन नाहक ही किसी को सताएगा नहीं और न ही किसी से रिश्वत लेगा। अपितु , पूरी तरह निःस्वार्थी सेवक के रूप में आम जनता की सतत सेवा करेगा। हर जन को पूरा हितकारी न्याय मिलेगा। अपराध की प्रवृति समाप्त हो चुकी होगी। हर किसी को अपनी भूल सुधारने और प्रायश्चित करने का पूरा अवसर मिलेगा। समाज में हरेक को अपने जीवन में प्रत्येक क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का पूरा सदुपयोग करने का पूरा बराबर अवसर मिलेगा। किसी भी प्रकार की छुआछूत, धार्मिक या जातिगत भेदभाव नहीं होगा। बुजुर्गों ,बच्चों और महिलाओं को पूरा सम्मान , अधिकार और सुरक्षा मिलेगी। किसान ऋण के बोझ तले असमय अकाल मृत्यु को प्राप्त नहीं होंगें। सरकार उनकी हर संभव सहायता किया करेगी। व्यापारियों पर अनुचित करों का बोझ नहीं होगा। स्वरोजगार को पूरा बढ़ावा मिलेगा। मजदूरों को यथोचित मजदूरी मिलेगी और उनका शोषण नहीं होगा। सरकार असमर्थों की पूरी देखभाल करेगी। कोई भी आर्थिक व् वैचारिक रूप से निर्धन न रहेगा। अंधविश्वास समाप्त हो चुका होगा। ज्ञान - विज्ञान अपनी चरमतम सीमा पर होगा। पड़ोसी राजनीतिक इकाईओं और सरकारों से पूरी तरह शांतिपूर्ण संबंध होंगें। विवादास्पद राष्ट्रीय - अंतर्राष्ट्रीय बातों का यथोचित और शांतिपूर्वक निपटारा किया जाएगा। संक्षेप में , मेरा राज्य तो राम-राज्य से भी अधिक सुंदर,अच्छा ,उदात्त और मानवता के गुणों से परिपूर्ण आत्मीयता का स्वर्णिम राज्य होगा। - डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी

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