शेखर गुप्ता जैसे जाने माने पत्रकारों और उनके 'इंडियन एक्सप्रेस' जैसे राष्ट्रीय अख़बारों ने जानबूझ कर डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी को १९९१ की चाँदी ज़ब्ती प्रकरण में उन्हें उनकी शूरवीरता के लिए न्याय नहीं दिलवाया!
भारत के शेखर गुप्ता जैसे जाने माने पत्रकारों और उनके 'दी इंडियन एक्सप्रेस' जैसे राष्ट्रीय अख़बारों ने जानबूझ कर डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी (ठाकुर शेर सिँह परमार) को १९९१ की चाँदी ज़ब्ती प्रकरण में उन्हें उनकी शूरवीरता के लिए न्याय नहीं दिलवाया। सबूत के तौर पर वर्ष २००४ में शेखर गुप्ता को डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी (ठाकुर शेर सिँह परमार) द्वारा लिखे गए पत्र को पढ़िये! ऐसे हैं हमारे 'जर्नलिज़्म विद करेज' की ढींग हाँकने वाले राष्ट्रीय अख़बारों के असली संवेदनाहीन मतलबी चेहरे!
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