पुणे के कस्टम विभाग के कुछ गददार सीनीयर अफसरों ने DRI-II रपट को नजरअंदाज करके अपनी मनमानी करते हुए डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी के  KEY ROLE को भुला कर उनके साथ नाइंसाफी की!


पुणे के कस्टम विभाग के कुछ गददार सीनीयर  अफसरों ने वर्ष 2006 में DRI-II रपट को
नजरअंदाज करके अपनी मनमानी करते हुए डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी के  KEY ROLE को भुला कर उनके साथ नाइंसाफी करते हुए, उस सिपाही को जिसे वे साथ ले गए थे उस सिपाही से कम ईनाम
दिया ताकि न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी , अर्थात सिपाही से कम ईनाम दे कर उन्होंने दुष्टता दिखा, स्वामी जी को अशोक चक्र से वंचित कर दिया!

अपने साथ हुई नाइंसाफी से त्रस्त हो कर तब तक वर्ष 2001 में स्वामी जी कस्टम विभाग की नौकरी छोङ चुके थे! उनकी अनुपस्थित का रिवारड कमेटी के दुष्ट अफसरों ने नाजायज फायदा उठा कर उनके साथ नाइंसाफी कर दी!
सच यह है कि कस्टम विभाग के कुछ वरिष्ठ, भारत देश के गददार अधिकारियों को इस बात से चिङ थी कि शूरवीर स्वामी जी ने ईमानदारी के साथ तस्करी का माल जब्त कर लिया था!
उन्होंने बदला लेने के  लिए विजिलैंस शुरू करवा दिया। मोदी के भक्तों इसे यूं समझो - कोई सेना का शूरवीर अफसर विषम हालात में देशहित में सीमा रेखा पार करके सरजिकल सट्राइक करके देश के दुशमनों को तबाह कर दे दुशमनों से मिले हए अपने कमांडिंग आफिसर की आज्ञा लिए बगैर और बाद में भारतीय सेना के सीनियर अफसर ही उस पर विजिलैंस जाँच बैठा दें कि वह अपने कमांडिंग अफसर को बिना बताए ही दुशमनों को तबाह क्यों कर आया था?... और इसी बात की बाल की खाल निकाल कर नाइंसाफी करते हुए उसे परमवीर चक्र से वंचित कर दें...।
स्वामी जी ने हार नहीं मानी । अपनी इंसाफ की लङाई सोशल मीडिया पर ले गए! कम ईनाम भी उन्होंने 'UNDER PROTEST' ही वर्ष 2008 में लिया था जिसे बाद में उन्होंने मोदी के काल में कस्टम विभाग को लौटाया तो कस्टम विभाग ने जले पर नमक छिङकते हुए यह कह कर लेने से मना कर दिया कि दिये हुए ईनाम को वापस स्वीकार करने के लिए कोई भी कानून नहीं है। वाह रे मोदी जेटली शाह की अजीब गजब तिकङी!
अब भारत की जनता नीचे दिए गए कागजात को पढ ले जिनसे साफ पता चलता है कि स्वामी जी के साथ बहुत ज्यादा नाइंसाफी हुई है।

(1) नीचे दिए गए सरकारी कागजात खुद बोल रहें हैं कि स्वामी जी न होते तो 2.5 करोङ की चाँदी भी जब्त न हो पाती!





(2) रिवारड कमेटी की मीटिंग के मीनट/रपट पढ लीजिए जिसमें स्वामी जी के साथ जानबूझकर नाइंसाफी की गई है!







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