"महर्षि #दयानंद के लेखों की कुछ अतार्किक त्रुटियों (जैसे #सत्यार्थप्रकाश में - एक दिन मनुष्य #सूर्य पर खेती करेगा) की ओर #बरवाला के #कबीरपंथी श्री #रामपाल जी ने ध्यान खींचा तो #आर्य #समाज के कुछ अनाङी उनके शत्रु बन गए!
जब मैंने अपने अंग्रेज़ी लेखों के माध्यम से श्री रामपाल जी द्वारा फैलाई जा रही कुछ त्रुटिपूर्ण बातों की ओर ध्यान खींचा तो उनके #अंधभक्तों ने मुझे ही गलत बताया! ऐसा क्यों होता है कि #अंधभक्त दूसरे गुरुओं में तो दोष ढूंढ लेते हैं और अपने गुरु जी के दोषों को मानते ही नही हैं?
ऐसा इसलिए कि गुरु की कुछ बातें सही पाये जाने पर हम सभी उनकी त्रुटियुक्त बात को भी सही मान लेते हैं!
मैं संपूर्ण होने का दावा बिलकुल नहीं करता हूँ!
अपनी अल्प #बुद्धि, #साधना के अनुभवों और वर्तमान #वैज्ञानिक जानकारी के आधार पर जो कुछ भी मैंने लिखा है वह सब संभवतः समय और भविष्य के विज्ञान की कसौटी पर पूर्ण या आंशिक रूप से खरा उतरे।
संभव है कि कुछ बातें सही भी न उतरें! मेरी जो बातें सही #सिद्ध न हों, मेरी भक्तों से #प्रार्थना है कि उन संभावित त्रुटियों को सिरे से नकार दें! सभी भक्तों और #विद्वान #विदुषियों से मेरी प्रार्थना है कि #परमात्मा ने आप सभी को भी #स्वतंत्र कुशाग्र बुद्धि प्रदान की है, उसे किसी भी गुरु को न सौंपे! #गुरु भी आपकी भाँति #मनुष्य ही होता है और अपूर्ण ही होता है । यदि कोई गुरु अपने आप को पूर्ण बताता है तो तुरंत सावधान हो जाईए - ऐसा गुरु एक दिन स्वयं तो डूबेगा ही आपको भी साथ ले डूबेगा! गुरु की उन्हीं बातों को मानिए जो तर्कपूर्ण और सत्य हैं और उसकी असत्य बातों का सर्वथा परित्याग कर दीजिएगा!"
-डाॅ #स्वामी #अप्रतिमानंदा जी
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