'पढ़ाई का अधिकार कानून' [Right to Eduication Act] को न बदले सरकार!

'पढ़ाई का अधिकार कानून' [Right to Education Act] के अंतर्गत १४ वर्ष की आयु तक के बच्चों को बिना परीक्षा के कक्षा आठ तक पढ़ने देना बिलकुल सही निर्णय था और है।
इसे किसी भी स्थिति में नहीं बदलना चाहिये।



जो तथाकथित Education Experts इसे बदलने के लिये दबाव डाल रहें हैं , वे सब के सब ग़लत हैं। इसके निम्नलिखित ठोस कारण हैं :
(१) निर्धन और अशिक्षित माँ बाप के बच्चों को अपने घर में पढ़ाई का अच्छा वातावरण और सुविधाएँ नहीं मिलती हैं। ऐसे बच्चों को जब परीक्षा में फ़ेल होने का सामना करना पड़ता है तो ऐसे बच्चे हतोत्साहित एवं निराश हो कर बीच में ही पढ़ाई छोड़ कर छोटा मोटा काम धंधा करना शुरू कर देते हैं। ऐसे बच्चों के लिये 'NO FAIL AND PROMOTION TILL 8TH OR 10TH STANDARDS' की नीति ही इन्हें विद्यालय में शिक्षण के प्रति आकर्षित रख़ सकती है। 
(२) जिन बच्चों को अपना पढ़ाई का स्तर नहीं सुधारना है तो ऐसे बच्चे FAIL AND PASS नीति के अंतर्गत भी अपना शैक्षणिक स्तर नहीं सुधार पाएंगे। ऐसे बच्चे फ़ेल हो कर शिक्षण बीच ही में छोड़ देंगे।
 
वर्तमान शैक्षणिक नीति को बदलने का अर्थ होगा कि सरकार सुविधा संपन्न उच्च एवम मध्यम वर्ग के तथाकथित MERIT CULTURE के आगे नतमस्तक हो कर निम्न एवम आम निर्धन लोगों के बच्चों को पढ़ाई से वंचित कर इन बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की सोच रही है।

अतः ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी ज़ोरदार मॉंग करती है कि भारत सरकार, राष्ट्र हित में और इंसानियत के नाते ही सही , वर्तमान RIGHT TO EDUCATION नीति में कोई भी परिवर्तन न करे। 

[फोटो : गूगल के सौजन्य से ]



 

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