क्या चाँद ने पूर्णिमा के बाद
चमकना छोड़ दिया है?
क्या सूर्य ग्रहण के बाद
शम्स ने तपना छोड़ दिया है?
क्या परिंदों ने तूफानों के बाद
उड़ना छोड़ दिया है?
क्या धूप निकलने के बाद
शबनम ने जमना छोड़ दिया है?
क्या गुलाबों ने पतझड़ के बाद
महकना छोड़ दिया है?
क्या चिड़िया ने वसंत के बाद
चहकना छोड़ दिया है?
कोयल ने कू कू कूकना
छोड़ दिया है?
क्या चमेली जूही ने भूकंप बाद
महकना छोड़ दिया है?
क्या दरिया ने गलोबल वार्मिंग बाद
बहना छोड़ दिया है?
क्या महबूब की याद में आँखों में
अश्क ने रहना छोड़ दिया है?
जिंदा रहने के लिए सहेली मेरी
हर लम्हे ने मरना अब छोड़ दिया है...
- Lyrics by सुजाता कुमारी,
@sujatakumarika
(Editor-in-Chief, Aatmeeyataa Patrekaa)
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