भारतीय संस्कृति के अनुसार कैसे मनाएं जन्मदिन - संस्कृति और सभ्यता

आजकल प्रायः देखने में आता है कि लोग आधुनिकता और पश्चिमी सभ्यता में इतने खो गए हैं कि उन्हें यह पता ही नही कि क्या ग़लत है और क्या सही! 

पश्चिमी सभ्यता की अच्छी बातों को सीखने की बजाय हम पश्चिमी सभ्यता के बुरे प्रभाव में अपनी संस्कृति, सभ्यता एवं मनोबल को इतना अधिक गिरा चुके हैं कि उन्हें उठने में न जाने कितने युग बीत जायें, कहा नहीं जा सकता। 

प्रायः जन्मदिन बड़े ख़ुशी से मानते हैं। खैर मानना भी चाहिए। लेकिन, मोमबत्ती जलाकर उसे फूंक मार कर बुझा देते है, केक को काट कर खिलाते है, उस रात्रि में जागरण के बदले प्रायः लोग मौज-मस्ती के साथ शराब और तामसिक भोजन करते हैं। ये कहाँ का नियम है! इसलिए भारतीय पद्दति से जन्मदिन मनायें और अपने प्रियजनों को दीर्घायु बनायें।

शास्त्रों में जन्मदिन मनाए जाने को वर्धापन संस्कार कहा गया है। जन्म तिथि पर वर्धापन संस्कार सभी लोग संपन्न नहीं कर पाते हैं। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ आसान काम जिन्हें करके आप भी लंबी उम्र व स्वस्थ शरीर पा सकते हैं।

जन्मदिन के दिन सुबह जल्दी जागना चाहिए। सुबह 4 से 6 के बीच ब्रह्म मुहूर्त होता है। इस समय में जागने से उम्र बढ़ती है। मन में गणेशजी का और गुरुदेव का ध्यान करें व आंखें खोलें। तिल के उबटन से नहाएं। प्रथम, पूजनीय देवता भगवान गणेशजी का गंध,पुष्प,अक्षत, धूप, दीप से पूजन करें। लड्डू और दूर्वा समर्पित करें।

जन्मदिन के दिन दीपक व मोमबत्ती को नहीं बुझाना चाहिए। हिंदू मान्यता है कि शुभ कार्यों के लिए जलाए दीपक को बुझाने वाला व्यक्ति नरक भोगता है। जन्मदिन के दिन जितने साल की उम्र हो,उतने ही दीपक किसी मंदिर में दान करना चाहिएं।

इस दिन जन्मनक्षत्र का पूजन किया जाता है। जन्मदिन पर अष्टचिरंजीवी महापुरुषों का पूजन व स्मरण करना चाहिए।

अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि - ये आठ चिरंजीवी महापुरुष हैं जिन्हें अमरत्व प्राप्त है। अष्टचिरंजीवी को प्रणाम करें। जितनी बार हो सके ये मंत्र बोलें। 

मंत्र इस प्रकार है:

"अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषणः।

कृपः परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविनः।।

सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।

जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।"

अर्थात् अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि को प्रणाम है। इन नामों के स्मरण रोज सुबह करने से सारी बीमारियां समाप्त दूर होती हैं और मनुष्य 100 वर्ष की उम्र को प्राप्त करता है।

"ॐ कुलदेवताभ्यौ नमः" मंत्र से कुलदेवता का पूजन करें। मार्कण्डेय से दीर्घायु की प्रार्थना करें। तिल और गुड़ के लड्डू, दूध अर्पित करें। खुद भी तिल-गुड़ के लड्डू और दूध का सेवन करें। इस दिन नेल कटिंग या शेविंग नहीं करना चाहिए।

माता-पिता का अशीर्वाद लें। सभी आदरणीय लोगों और अपने गुरुजनों का आशीर्वाद लें।बच्चों को उपहार में सिक्का व रूपया दें। ब्राह्मण भोजन करवाएं। इस दिन जन्मपत्रिका में एक मोली यानी कि लाल रंग का धागा बांधे और हर साल एक-एक गांठ बांधते जाएं।

प्रस्तुतिकर्ति

सुजाता कुमारी, 

सर्वोपरि संपादिका, 

आत्मीयता पत्रिका

( X - @sujatakumarika

(स्रोत: सर्वाधिक प्रचारित लोकप्रिय भारतीय जनसाहित्य और इंटरनेट, सोशल मीडिया, व्हाट्सएप्प, और एक्स पर मुफ़्त में उपलब्ध छायाचित्र, चलचित्रिका और सामग्री)

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