भाजपा और कट्टर ब्राह्मणवादी आर एस एस की वाट्स एप् यूनिवर्सिटी की 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नई रिसर्च राजीव गाँधी के सरनेम के बारे में

आजकल् भाजपा और कट्टर ब्राह्मणवादी आर एस एस की वाट्स एप् यूनिवर्सिटी 2024 के लोकसभा चुनाव में भोली भाली जनता को बरगलाने के लिए बेशर्मी से स्वर्गीय पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गाँधी जी और उनके परिवार के बारे में झूठ का नमक परोस रही है! ये प्रचार किया जा रहा है कि राजीव गाँधी एक बदनसीब बेटे थे जिन्हें अपने बाप फ़िरोज़ खान का सरनेम "खान" नहीं मिला। उनकी सुपुत्री प्रियंका जी के बारे में भी कहा जा रहा है कि उनका सुपुत्र रेहान भी एक बदनसीब बेटा है जिसे अपने बाप रॉबर्ट वाडरा का सरनेम "वाडरा" नहीं मिला। 

परंतु, ये सब प्रयास मात्र तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर भोली भाली सनातनी जनता को धर्म के नाम पर बरगला कर, सोनिया गाँधी जी के परिवार के खिलाफ उकसा कर इंडी अलायंस को कमजोर करने की एक नाकाम साजिश है। उद्देश्य भाजपा प्रणित एन डी ए को फायदा दिलवाने की चेष्टा करना है! 

ये साजिशकर्ता निम्नलिखित तथ्यों को अनदेखा कर रहे हैं। 

फिरोज खान को महात्मा गाँधी जी ने गोद लिया था और अपना सरनेम "गाँधी" दिया था। तब जा कर इंदिरा जी के ब्राह्मण जाति के बाप जवाहर कौल उर्फ़ नेहरू ने इंदिरा की शादी फिरोज से की थी क्योंकि ब्राह्मण जाति के बाप जवाहर कौल उर्फ़ नेहरू चाहते थे कि इंदिरा की शादी किसी सनातनी से हो। 

इस तरह फिरोज पारसी धर्म छोड़ कर सनातनी बन गए थे। ऐसे में जाहिर सी बात है कि फिरोज का बदला हुआ सरनेम गाँधी होने की वजह से राजीव जी ने भी अपने नाम के आगे "गाँधी" सरनेम लगाया। 

कट्टर हिंदुओं को तो खुश होना चाहिए कि इंदिरा ने पारसी फिरोज का धर्म परिवर्तन करवा कर उसे सनातनी बना दिया था। इंदिरा ने अपना सनातन धर्म नहीं छोड़ा। 

मरने से पहले इंदिरा जी ने अपने घर पर एक महिना महामृत्युन्जय मंत्र का जाप करवाया था, इतना अधिक सनातनी थी इंदिरा जी। 

सनातनी बाप राजीव की बेटी प्रियंका ने ईसाई रॉबर्ट वाडरा से शादी की, लेकिन अपना सनातन धर्म नहीं छोड़ा और इसीलिए अपने सरनेम के आगे ईसाई रॉबर्ट का सरनेम लगाने की बजाय अपने सनातनी बाप राजीव का सरनेम "गाँधी" लगाया। जाहिर सी बात है कि उसका बेटा रेहान भी अपनी सनातनी माँ प्रियंका का ही सरनेम गाँधी अपने नाम के आगे लगा रहा है। इसमें कुछ भी गलत नहीं। 

राजीव गाँधी ने ईसाई धर्म की लड़की सोनिया से शादी की और उसे प्रेम से जीत कर सनातनी बनने के लिए प्रेरित किया। सोनिया ने राजीव गाँधी के प्यार में अपना ईसाई धर्म छोड़ दिया और सनातनी बन गई, सनातनी पत्नी की तरह ही माथे पर सिंदूर, बिंदी लगा लिया, चूड़ियाँ पहन ली, साड़ी पहन ली, शुद्ध भारतीय बन गई, पूरी तरह से सनातनी धर्म संस्कृति अपना लिया। 

कट्टर हिन्दू को तो खुश होना चाहिए कि ब्राह्मण बाप जवाहर लाल नेहरू के वंशजों ने अपना सनातन धर्म नहीं छोड़ा। उसके वंशज सही अर्थों में सच्चे प्रेम के योद्धा साबित हुए जिन्होंने दूसरे धर्मों के लोगों से शादी कर के भी अपना सनातन धर्म नहीं छोड़ा, बल्कि अपने निष्कपट प्रेम से उन्हें ही उनका ईसाई और पारसी धर्म त्याग करवा कर सनातनी बना लिया। 

राहुल गाँधी जी तो अब एक परम उदार सनातनी बन गए हैं। उन्होंने दक्षिण भारत के शैव मठ के सनातनी स्वामी जी से शिव बाबा महाकाल की विधिवत दीक्षा ग्रहण की है। वह अब पूरी निष्ठा ईमानदारी से शिव भक्ति में लीन हैं। 

यदि भाजपा और कट्टर ब्राह्मणवादी आर एस एस सच में ही राजीव गाँधी को अब भी पारसी बाप की औलाद मानते हैं, तो भी इन्हें प्रसन्न ही होना चाहिए कि एक पारसी बाप की औलाद ने "घर वापसी" कर के सनातन धर्म संस्कृति को सहर्ष अपनाया है।

लेकिन, ये लोग ऐसा करेंगे नहीं क्योंकि इन्हें चाहिए वोट, भले ही इसके लिए झूठ बोलने पड़े.. 

अब जरा इन लव जेहाद के नाम पर समाज को भड़काने वाले डरपोक नामर्द गीदड़ों की भी बात कर ली जाए। 

ये बार बार चिल्लाते हैं कि फ्लां हिंदू लड़की को फलां मुस्लिम लड़के ने अपने प्रेम के जाल में फंसा कर मुस्लिम बना दिया। 

अरे! हिम्मत है तो इंदिरा, राजीव की तरह हिम्मत करो जिन्होंने दूसरे धर्म के लोगों से शादी कर के उन्हें ही सनातनी बना दिया। इन गीदड़ों को किसने रोका है दूसरे धर्म की लडकियों से शादी कर उन्हें प्रेम के बल पर हिंदू बनाने से?  

सच ये है कि ये कायर हैं, डरपोक हैं, नामर्द हैं। इनमें हिम्मत ही नहीं है किसी दूसरे धर्म की लड़की को प्रेम से जीत कर उसे बीवी पत्नी बना कर उसे हिंदू /सनातनी बनने के लिए प्रेरित करने की!

इन डरपोक गीदड़ों को बस एक ही काम आता है- लव जिहाद का नाम लेकर अपनी नामार्दगी छिपाओ और लव जेहाद के नाम पर हिंदू- मुस्लिम में झगड़े लगाओ और लोगों को धर्म के नाम पर मरवा कर राजनीतिक पॉवर सत्ता हासिल करने की नापाक साजिश रचो!

प्रस्तुतिकरण:

- स्वामी मूर्खानंद जी

(स्रोत: सर्वाधिक प्रचारित लोकप्रिय भारतीय जनसाहित्य और इंटरनेट पर मुफ़्त में उपलब्ध छाया चित्र




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