सत्य

सत्य 

हमेशा 

अपने लिए रखना, 

प्रेम 

हमेशा 

दूसरे के लिए रखना, 

और 

करुणा 

हमेशा 

सबके लिए रखना, 

हमेशा

दूसरों को

क्षमा करना, 

हमेशा

औरों को नहीं

स्वयं को परखना, 

क्योंकि 

यही 

जीवन का व्याकरण है...! 

क्योंकि 

यही 

जीवन का जागरण है...! 

क्योंकि 

यही 

आत्मा का संसार है...! 

क्योंकि 

यही 

आत्मा का सार है...! 

(स्रोत: भारतीय जनकाव्य) 




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