आत्मा को भी भूख लगती है - (अध्यात्म)

इंसान तीन भागों में बंटा हुआ है।
शरीर, मन और आत्मा।
शरीर- हम रोज नहा धोकर अपने शरीर की साफ-सफाई करते हैं, अच्छे कपड़े पहनते हैं, कई चीजें इस्तमाल करके शरीर को चमकाते हैं और रोज चटपटे खाने का भोजन करते हैं।
मन- मन बहुत सारी चीजों की कामनाएं करता है और हम कई कामनाएं पूरी करते भी हैं। मन रोज मनोरंजन चाहता है, जैसे टी वी, मोबाईल और कंप्यूटर जैसी कई चीजों का इस्तमाल करता है, और हम मन को रोज मनोरंजन का भोजन देते हैं।
आत्मा- आत्मा का भोजन है अपने प्रभू का भजन-सिमरन।
क्या हम अपनी आत्मा को रोज पर्याप्त भोजन देते हैं?
हम एक-आध घंटा भजन-सिमरन भी ढंग से नहीं करते हैं।
क्यों रोज एक रोटी खाकर हमारा पेट नहीं भरता है?
क्यों बिना मनोरंजन के सिवाय हम नहीं रह सकते हैं?
जब शरीर और मन को पूरी खुराक देते हैं, तो आत्मा को क्यों नहीं दे पाते हैं?
क्योंकी हम दुनियां के मायाजाल मे अटक गए हैं, और इनसे हमें संत-सत्गुरू के सिवाय और कोई भी नहीं छुड़ा सकता है।

(स्रोत: भारतीय लोक श्रुतियाँ)

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