समय...

समय हंसाता है, 

समय रुलाता है, 

समय ही बहुत 

कुछ सिखाता है। 

समय

की कीमत जो 

पहचान ले,

वही 

मंजिल को 

पाती है,

खो देती है जो 

समय को

जीवन भर 

पछताती  है, 

गुजरी हुई 

सुबह कभी लौट कर 

नहीं आती है,

सुहागरात मस्तानी 

केवल याद

रह जाती है।। 

स्त्री-पुरुष बली नहीं 

होत हैं, 

समय होत बलवान।

भीलन लूटी, 

गोपिका वही, 

अर्जुन वही बान।।

(स्रोत: भारतीय लोककाव्य)

प्रस्तुतिकरण: सुजाता कुमारी 


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