कोरोनाकाल में मोदी-अंधभक्ता और कुमारी विचारशीलना का अनोखा संवाद

कुमारी विचारशीलना ने कहा,"अरी बहना अंधभक्ता! अपना ये नरेंद्र मोदी तो बहुत बड़ा नौटंकीबाज और अहंकारी है. यह जाति से बनिया है और बनिया कभी भी उलटा जवाब नहीं देता है. चुप रहना इसका जातीय-गुण है. इस गुण को महिमामंडित न करें. मायावती ने अपनी मूर्तियां लगवाईं. इसने सरदार पटेल का नाम हटवा कर अपने नाम पर अहमदाबाद में क्रिकेट स्टेडियम का नाम रखवा लिया. 

राममंदिर तो राजीव गांधी की देन है जिसने पहली बार राममंदिर का ताला खुलवा कर पूजा की. भाजपा तो बाद में पीछे से आकर मुद्दे को भुना गई. 

इसने रफेल जहाज की खरीद का दबाव डाल कर अपने अंबानी मित्र का 1500 करोड बकाया फ्रांस की सरकार से माफ करवा लिया. 

कोरोना19 के वैक्सीन बनाने के लिए पूनावाला ने 200 करोड़ रुपयों के निवेश का खतरा ले कर उत्पादन किया था. इस नरेंद्र मोदी ने उसे कोई मदद नहीं दी और आज यह खुद इस वैक्सीन का श्रेय ले रहा है. और तो और , इसने अपने प्राण-रक्षक स्वामी अप्रतिमानंदा जी को न्याय नहीं दिलवाया जानबूझकर. उलट स्वामी जी की किताब से सारे विचार उठा कर उन वाचारों को खुद का "विजन" कह कर प्रचारित करवा रहा है. 

आज वेद व्यास होते तो रोते क्योंकि यह उनके पुराणों को भी अपना खुद का ओरीजिनल "विजन" बताता. 

बहना! चाटुकारिता की भी हद होती है. चाटुकार पहले सोनिया के गीत गाते थे, अब नरेंद्र मोदी के गीत गा रहे हैं...

यजुर्वेद में ऋचा है जिसका अर्थ यह है "तुम आम लोगों का मालिक तो शासक है. हम ब्राह्मणों (साधु-संतों) का शासक तो सोम (भगवान) है." लेकिन आज तो वेदों के विपरीत योगी आदित्यनाथ व्यवहार कर रहे हैं. 

जिस आदित्यनाथ के पांव नरेंद्र मोदी ने छूने चाहिए थे, वही आदित्यनाथ उलट आम जनता के शासक नरेंद्र मोदी को अपना शासक मान कर मोदी की तारीफ में कसीदे पढ रहा है. 

अ मोदी की अंधभक्ता! जाग जाओ! अभी भी वक्त है संभल जाओ! धरम की बात तो रावण भी बहुत करता था. लंका में उसे भगवान माना जाता था. बड़े दुख की बात है कि हिंदुत्व के नाम पर आज नरेंद्र मोदी और उसके चाटुकार बहुत सारी विदुषियों और विद्वानों बुद्धिजीवियों को भी बहकाने में कामयाब हो गए हैं...!

किसी की गलती को दोहराना महानता नहीं है. कांग्रेस ने जो गलतियां कीं, उससे ज्यादा गलतियां भाजपा कर रही है. ये लोग परोपेगंडा में माहिर हैं, सो लोग इनके बहकावे में आ जाते हैं.

RSS के द्वारा तिरंगे के अपमान की बात जगजाहीर है. इसका खुलासा ndtv पर भी हो चुका है. यदि आपको इस बारे में नहीं पता तो यह आपका अज्ञान है.

नेहरू के अफगानी खानदान से होने की बात सरासर झूठ का पुलिंदा है जो भाजपाईयों ने जानबूझकर फैलाई है और आप जैसी सहृदय विदुषियों ने बिना कोई छानबीन किए सच मान लिया है.

रही बात नरेंद्र मोदी के द्वारा तथाकथित तौर पर देश को अंतर्राष्ट्रीय सतर पर गौरव दिलवाने की बात तो सखी जान लो यह कटु सत्य कि ऐसा कुछ भी नहीं है. इन की परोपेगंडा मशीनरी हर चीज में मोदी की महानता थोप देती है. 

नेहरू जी तो मोदी से भी ज्यादा योग का अभ्यास करते थे और उनके/इंदिरा के समय भारतीय योग की विशव में  तूती बोल रही थी.  UNO की permanent  सदस्यता के लिए भी नेहरू के रूतबे से प्रभावित  हो कर UNO ने पेशकश की थी जिसे नेहरू ने समझदारी से ठुकरा दिया था ऐसे में जब देश अपने लिए पर्याप्त अनाज तक पैदा नहीं कर पा रहा था.

कांग्रेस जहां हजार खर्च करती थी, भाजपा वहां लाखों-लाख खर्च करती है. पहले भारत सरकार के  मंत्रालयों में आपत्कालीन बैठकों में चाय-पानी के लिए 10-15 हजार से जयादा खर्च नहीं होते थे. अब सुनते हैं कि हर ऐसी मीटिंग में चाय का बिल लाखों में आता है. यानी इनके भ्रष्टाचार के तरीके बड़े और न दिखने वाले हैं.

पैट्रोल डीजल की महंगाई पर जनता को गुमराह करके भाजपा ने वोट पाए. सत्ता में आ इन्होने कांग्रेस से भी जयादा भाव पैट्रोल डीजल के बढा दिए हैं. यह सब को पता है कि महंगाई इनके भाव पर निर्भर है. इनका मूल भाव 37-38 रूपए प्रति लीटर है. इस भाव को रखें तो देश में महंगाई अपने आप कम हो जाएगी.

RSS आपने कहा समाज सेवा कर रही है. दुनियाभर में फैले मुस्लिम आतंकवादी संगठन भी यही ढिंढोरा पीटते हैं कि वे समाज सेवा कर रहे हैं. आप समाज सेवा करें तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपको देश के विरूद्ध काम करने का अधिकार है.

राममंदिर भी न्यायालय ने दिया. इसमें नरेंद्र मोदी की कोई भूमिका नहीं थी.

370 का मुद्दा सरदार पटेल ने उस समय की स्थिति को देखते हुए भविष्य के लिए टाल दिया था. उसके लिए नेहरू को दोष देना मानसिक दिवालियापन ही है. यह कभी न कभी तो हटना ही था. यह अब हट गया. नरेंद्र मोदी न हटाता तो कोई ओर हटाता.

लालकृष्ण आडवाणी को नीचे खींच कर प्रधानमंत्रि बनना कोई एहसान फरामोश ही कर सकता था. हमारी भारतीय संस्कृति इस दुष्कर्म की अनुमति नहीं देती. जो जीता वही सिकंदर,  इतिहास का यही चलन है. अब आप जैसी सरल बहना इस दुष्कर्म को भी सही ठहराएंगीं तो यह सही नहीं है.

एक तरफ तो 25 दिसंबर का ईसाईयत का ईसा मसीह के जन्मदिन के सरकारी सार्वजनिक अवकाश को नरेंद्र मोदी ने समाप्त कर दिया, वहीं दूसरी ओर अजमेर के मुस्लिम पीर गरीब नवाज के लिए चादर भिजवाई. खुद कभी उसकी/किसी पीर  की मजार पर जा कर माथा नहीं टेका. 

यह नौटंकी नहीं तो ओर क्या है? क्या यही है भाजपा RSS की धार्मिक सहिष्णुता?

अमित शाह ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल को वोट न दीजिए क्योंकि केजरीवाल मुख्यमंत्री बनते ही घर के आगे हेलिकॉप्टर खड़ा कर लेगा. अरविंद केजरीवाल ने तो मुख्यमंत्री बन कर कोई हेलिकॉप्टर नहीं खरीदा. 

अलबत्ता नरेंद्र मोदी ने जरूर जनता की गाढे कमाई के 16000 करोड रूपए खर्च करके खुद के इस्तेमाल के लिए दो हवाई जहाज खरीद लिए. ताज्जुब है मोदी ने किसानो की 15000 करोड की रकम नहीं दी. जबकि राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने किसानों के 14000 करोड के कर्ज माफ कर दिए हैं.

किसान आंदोलन में 200 से ज्यादा किसान अकाल मौत मर चुके हैं. मोदी के चेहरे पर जरा भी शिकन नहीं. 

नरेंद्र मोदी की मंडली ने देश के आपातकालीन समय के लिए रिजर्व बैंक के खजाने में रखी लाखों करोड़  की रकम तक निकाल ली है अपने पूंजीपति मित्रों की सहायता करने के लिए. यदि इमरजेंसी आन पडी तो देश किस से भीख मांगेगा?

आम जनता को कोरोना के टीके लगवाने के लिए प्रेरित करने के लिए दूसरे देशों के प्रधानमंत्री खुद आगे आए और सबसे पहले टीका लगवाया. इसे कहते हैं प्रेरणादायक नेतृत्व. हमारे नरेंद्र मोदी ने डर कर सबसे पहले कोरोना का टीका नहीं लगवाया. यह कैसा लीडर है बहना?

रही बात कि आप जैसी सहृदय देवियां क्यों नरेंद्र मोदी के कार्यकाल को सही सही नहीं समझ पा रही हैं तो उसका सीधा सा सरल जवाब है कि कांग्रेस के शासन की कमियों से नाराज लोगों को एक विकल्प चाहिए था जो उन्होंने सोचा भाजपा है. और भाजपा को सत्ता दे दी. 

अब आप जैसी आत्माएं इस भाजपाई मायाजाल इंद्रजाल से बाहर नहीं निकल पा रही हैं. अपने ह्रदय को पूरी ईमानदारी से टटोलिए तो मालूम होगा कि आप नरेंद्र मोदी को समर्थन केवल और केवल इसलिए दे रही हैं कि उसने ऐसा भ्रम फैला दिया है कि केवल वही हिन्दुत्व का रक्षक है. 

विपक्षी दल भी सुधरते नहीं दिख रहे हैं और न ही आप जैसी विदुषी का विशवास जीत पा रहे हैं. यह आपका दुर्भाग्य. आप चीज़ों को सही परिप्रेक्ष्य में नहीं देखना चाहती हैं तो यह आपकी choice और आपका दुर्भाग्य! 

हम तो नरेंद्र मोदी और इसके गुट द्वारा फैलाए गए इंद्रजाल से सौभाग्यवश बाहर निकल गई हैं.

यह सही है कि उज्ज्वला गैस सिलेंडर, किसान निधि सम्मान योजना जैसै कई अच्छे कार्य भी नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में हुए हैं.

हमारा मकसद नरेंद्र मोदी की बुराई करना नहीं है. बुराई करनी है तो अपनी मां की करो जिससे आपके पुण्य आपकी मां को ही मिलें. हमारा मकसद तथ्यों को देशहित में सही सही परिप्रेक्ष्य में रखना है.

खैर, देशहित में हमारे विचार शांति से पढ़ने के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद!"

अंधभक्ता बोली,"...370 हटाना इच्छा शक्ति के ऊपर निर्भर था । राम मंदिर का ताले खोलना तो वोट बैंक का रोग था । 5,00,000 कश्मीरी पंडितों को किस सरकार के कार्यकाल  में निकाला गया ? उन सरकारों ने केवल परिवारों के लिए गलत ढंग से धन अर्जित किया है ।  

सखी! मैं बहुत संजीदा हूं इन सब बातों में । 

इतना जानती हूं जिस आजादी को पाने के लिए राम प्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद इकलौते पुत्र थे अपने परिवार के जिन्होंने अपनी कुर्बानी दी! 

राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्ला खान, रोशन सिंह यह तीनों क्रांतिकारी मेरे शहर से थे। अशफाक उल्लाह की मजार मेरे घर के पीछे ही है । 

आजादी की लड़ाई में अपनी जिंदगी को खपा देने वाले, सच्चाई के तमाम किस्से कहानी आज भी मेरे जेहन में हैं । 

पलट कर जब वर्तमान की राजनीति पर देखती हूं तो पीड़ा होती है । 

आज एक बात नोट कर लें। आपके और मेरे जीवन के काल में कांग्रेस कभी भी सत्ता में आ नहीं पाएगी ।

आपने कहा कांग्रेस से लोग नाराज थे । दूसरा कोई विकल्प नहीं था ।

भाजपा को छोड़ दो। जो बाकी पार्टियां है उनमें कौन कितने दूध के धुले हैं यह आपको पता होना चाहिए । 

समाजवादी पार्टी हमारे आपके पैसे से करोड़ों का सैफई महोत्सव मनाती थी, जंबो जेट फिल्मी सितारों का हुजूम लगता था । 

मायावती लाखों के हीरो की माला पहनती थी जन्मदिन पर। ऐसे तमाम उदाहरण आपको मिल जाएंगे ।

आजादी के समय में भेदभाव हुआ। पटेल को प्रधानमंत्री ना बना कर क्या गलती की, सब पता है । 

आज की पीढ़ी जवाहरलाल नेहरू को अय्याश नेता के नाम से अधिक जानती है । चरित्र से गिरे हुए थे, आज की तारीख में बताने की आवश्यकता नहीं । 

अभी भी हमारे देश के लोग इन सब चीजों को नहीं समझ रहे । यही कह सकती हूं ईश्वर इन सब को सद्बुद्धि देदे! 

कितना भी कोई यश कमा ले, 

पर देश से बड़ी हो नहीं सकती !

राष्ट्र में हो संकट तो चैन से 

राष्ट्रभक्ता सो नहीं सकती !

करे गद्दारी देश से जो 

मृत्युदंड की अधिकारी है!

भले ही हो टुकड़ा कलेजे का मेरे 

पर मेरी हो नही सकती!"

कुमारी विचारशीलना ने चर्चा का समापन करतेे हुए कहा,"...मोहतरमा! मैं आपकी भावनाओं को समझ सकती हूं. 

कांग्रेस हो या भाजपा , सभी एक जैसी पार्टियां हैं. 

आपने सही कहा  "दूध की धुली कोई भी नहीं". इसलिए हमें देखना होगा, सजग रहना होगा कि भाजपाई हो या अन्य पार्टी,  कोई भी पार्टी फिर से कांग्रेस की गलतियों/कमियों को न दोहराए. 

मैं एक प्रश्न आपसे जरूर पूछूंगी जो मुझ से वैष्णो देवी की यात्रा पर जाते समय बस के  सिख ड्राइवर ने पूछा था," कश्मीर में सिख मुट्ठीभर हैं. हम आंतकवादियों के खिलाफ खडे रहे, लडे, एक बार हमारे 40 सिख भी मारे गए. आज हम कश्मीर में आजाद घूम रहे हैं. ब्राह्मण तो लाखों थे कश्मीर में, वे क्यों बिना लड़े कश्मीर छोड़कर भाग गए?" 

अगर सिखों की तरह कश्मीरी पंडित लडते और डटे रहते तो उन्हें हजारों की संख्या में कश्मीर छोड़कर नहीं भागना पड़ता. हर बार आशा मत कीजिए कि कोई गुरू तेग बहादुर आएगा आपके लिए अपनी गरदन कटाने!

जानकारीपूर्ण विचार-विमर्श के लिए आपका पुन:  ह्रदय से आभार!

बहना! मैंने स्वीकार कर लिया कि लड़ाई करना ब्राम्हण का धर्म नहीं है. ठीक. 

मेरा प्रश्न: क्या कश्मीरी ब्राम्हणों ने अपना जातीय परंपरागत धर्म निभाया? क्या उन्होंने पूजा पाठ जंत्र मंत्र हवन सही सही किये? 

मेरा उत्तर: यदि अपना धर्म निभाते तो उनके तंत्र मंत्र पूजापाठ हवन और लाखों की संख्या के बाहुबल पर मुट्ठीभर आतंकवादी भारी न पड़ते. 

एक रामकोविद सरीखा साधारण आदमी कुछ दिन  पीतांबर शक्तिपीठ में अनुष्ठान करवा कर भारत का राष्ट्रपति बन जाता है, 4 डूम परिवारों के चरण धो कर राहू का दोष हटा कर नरेंद्र मोदी पुन: प्रधान मंत्री बन जाता है। तो क्या कुछ केवल हजार कश्मीरी ब्राम्हण ही सही सही, शक्तिपीठ में पूजापाठ करते तो क्या कश्मीर आतंकवाद से अभी तक मुक्त नहीं हो जाता?

कुछ कुछ दोष कश्मीरी पंडितों का भी है. न तो उन्होंने अपना जातीय ब्राम्हण धर्म निभाया और न ही परशुराम की तरह आतंकवाद से लड़े. केवल सरकारों को दोष देने से समस्या सुलझ नहीं जाती.  आतंकवाद तो नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भी कश्मीर में उपस्थित है!"

- सर्वोपरी राष्ट्रीय हित में हमारी खास पेशकश 


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