जानिए कि किससे नरेंद्र मोदी को "सेवा परमो धर्म" की प्रेरणा मिली

मूर्धन्य भारतीय दार्शनिक और विचारक डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी ने साल 2014-2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने जगह-जगह पर "सेवा परमो धर्म" का उदघोष वाक्य लिखा था। नरेंद्र मोदी और उनके सहायक ने इसे पढ़ा। 

उस खत में लिखे "सेवा परमो धर्म" के उदघोष वाक्य से प्रेरित हो कर नरेंद्र मोदी/उनके स्पीच राइटर ने आगामी "मन की बात" के लिए तैयार किए गए भाषण में "सेवा परमो धर्म" को भी सम्मिलित कर लिया।

फलस्वरूप, ११अप्रैल, २०१५ में नरेंद्र मोदी ने ऑल इंडिया रेडिओ से प्रसारित अपनी "मन की बात" में भारतीयों द्वारा यमन को दी गई सहायता को "सेवा परमो धर्म" बता कर देशवासियों की वाह-वाही लूटी।

(अनसुना इतिहास श्रृंखला-१) 

(Hidden Facts of History Series -1) 

Researched & Compiled by Editorial Team Aatmeeyataa Patrekaa

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