दोस्त और दुश्मन की पहचान संकट के वक्त ही होती है। दोस्त फौरन मदद दे देता है जबकि दुश्मन अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लेता है। इस पैमाने पर भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सब के सब फेल हो गए नजर आते हैं।
यह शर्मनाक नहीं तो और क्या है कि बारहवीं के छात्रों को सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ता है परीक्षा रदद करवाने के लिए? होना तो यह चाहिए था कि नरेंद्र मोदी की सरकार खुद ही इस इम्तहान को कैंसिल कर देती ताकि विद्यार्थियों को कोविड19 से बचाया जा सके।
कोरोनाकाल में नरेंद्र मोदी सरकार की असंवेदनशीलता को देख कर करीब करीब सारे हिन्दुस्तानी आज भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लामबंद नज़र आते हैं।
अपनी गलतियाँ सुधारने की बजाय नरेंद्र मोदी की सरकार अब आम जनता की आवाज दबाने के लिए और अपने खिलाफ उठने वाली जमहूरियत की हर राजनीतिक आवाज को कुचलने के बुरे इरादे से ही वट्विटर और वहाटस ऍप जैसी सोशल मीडिया कंपनियों को धमकाने की गलती कर रही है। जिस इंदिरा को अटल बिहारी वाजपेयी ने 'दुर्गा' कहा था वही इंदिरा 1975 में हिन्दुस्तानी कौम की आवाज नहीं दबा पाई थीं तो ये मामूली से रवि शंकर और नरेंद्र मोदी किस खेत की गाजरे मूलियां हैं?
मजे की बात यह है जिस नरेंद्र मोदी ने खुद ट्विटर के कंधों पर चढ़ कर ही 2014 का लोकसभा चुनाव जीता था उसी नरेंद्र मोदी की सरकार आज ट्विटर को धमका रही है!
कोरोनाकाल में आम जनता वैसे ही पहले ज्यादा परेशान है। जनता को अगर अब नरेंद्र मोदी सरकार ओर ज्यादा परेशान करेगी तो यह जनता नरेंद्र मोदी की सरकार को जड़ से ही उखाड़ फेंकेगी।
अरे भाई, हम कौन होते हैं इन भाजपाईयों संघाइयों को सुधारने वाले? आम जनता खुद ही इन्हे सत्ता से बाहर फेंक कर सुधार देगी...!
- स्वामी मूर्खानंद जी
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