डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी से एक जिज्ञासु ने कहा कि कोरोनाकाल में कोरोना(19) वायरस निर्दोषों को भी निगल रहा है तो ऐसे में कोविड महामारी से जुड़ी जानकारियां शेयर करने का कोई फायदा नहीं।
उसका सटीक जवाब डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी ने दिया।
जिज्ञासु की शंकाएं: "यदि आप बेईमान हैं ठग हैं मुनाफाखोर हैं जमाखोर हैं मिलावट करते हैं दूसरों के हक हकूक पर डकैती डालते हैं किसी कमजोर का शोषण करते हैं किसी निर्दोष को दण्ड देते हैं उसपर जुल्म करते हैं तो न कोई दवा न कोई वैक्सीन न कोई डॉ न कोई वैद्य न कोई हकीम न कोई दुआ न कोई प्रार्थना न कोई अस्पताल न कोई योग न कोई सरकार न कोई सेना न कोई पुलिस न कोई गुंडा न कोई बाउंसर न कोई अंगरक्षक न कोई उपाय आपको कोविड 19 से बचा नहीं सकता।
कोविड के कहर से बचने का एक ही मार्ग है वह है मन की शुद्धता ईमानदारी और परिश्रम से प्राप्त भोजन।
इसीलिए सब जानकारी सब उपाय सब तिकड़म व्यर्थ हैं।
कोविड कोई साधारण रोग नहीं है वह ईश्वरीय कहर है दुष्टों शैतानों बेईमानों ठगों और अपराधियों के सर्वनाश के लिए।
कोई मरता है तो दुःख होना मानवीय स्वभाव है होना भी चाहिए किन्तु मृत्यु तो नियति है उससे कोई कैसे बच सकता है। वह भी तो मारे जा रहे हैं जो तटस्थ थे या मौन थे या अहंकार में आकर ईश्वरीय शक्ति को नकार रहे थे।
नास्तिक आस्तिक सबको निगलते जा रहे हैं कोविड।
कोई बेईमान ठग पहली झड़प से बच गया है तो इसका अर्थ यह न लगाएं कि वह अमर हो गया अमर नहीं हुआ उसे अवसर दिया है कोविड ने ईमानदार बनने का ढोंग से अहंकार से बाहर आने का। अपनी भूलों का पापों का अपराधों का जो प्रायश्चित कर लेगा और पुनः कोई अपराध न करेगा तो वह अपना जीवन सुरक्षित कर लेगा।"
डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी का जवाब: "जिस तरह काली दुष्टों का नाश करने के बाद अपने नियंत्रण से बाहर हो गई और निर्दोष दुनिया को तबाह करने लगी तो भगवान शिव उनके आगे लेट गए। जैसे ही काली का पांव शिव पर पड़ा, वह शांत हो गई। इसी प्रकार विष्णु जी भी हिरणयकशयप का वध करने के बाद अपने नियंत्रण से बाहर हो सब कुछ तबाह करने लगे तब भक्त प्रह्लाद उनके सामने आ गए जिसे देखकर नरसिंह शांत हो गए। कोरोना की महामारी के संदर्भ में इसे यूं समझे - शिव और प्रह्लाद हमारी दवाओं, चिकित्सकों, डाक्टरों, नर्सों के प्रतीक हैं। हमारी आधुनिक दवाएं, चिकित्सक, डाक्टर, नर्सें आज शिव और प्रह्लाद बन कर निर्दोष लोगों के प्राण कोरोना से बचा रहे हैं। अतएव, कोविड से संबंधित जरूरी जानकारी को सांझा करना आवश्यक है जिससे निर्दोषों के प्राण बच सकें!
काली और नरसिंह के उदाहरणों से स्पष्ट हो जाता है कि जब दैवीय शक्ति दुष्टों का नाश करने लगती है तब वह दोषी- निर्दोषी में भेद करना भूल कर अपने ही भक्तों/निर्दोषों का भी संहार करने लगती है ठीक उसी तरह जैसे शरीर में परजीवों के आक्रमण/प्रवेश होने पर शरीर के रक्षक तत्व उत्तेजित हो कर साइटोकाईन तूफान (cytokine storm) उत्पन्न करके स्वस्थ उत्तकों/कोशिकाओं/अंगों (tissues, cells, organs) को भी तबाह करने लगते हैं।"
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