"उच्च पद/सम्मान मिलने पर कई लोगों के प्रायः पर निकल आते हैं और वे अहंकार की हवा में उड़ने लगते हैं। उनकी विनम्रता लुप्त हो जाती है। वे औरों को सम्मान देना और उनका अभिवादन करना भूल जाते हैं। सौम्यता का मुखौटा उनके वास्तविक स्वार्थी चेहरे से उतर जाता है। यहीं से उनके वास्तविक पतन का आरंभ हो जाता है और उनके जीवन की शांति भंग हो जाती है। "
- डॉ स्वामी अप्रतिमनंदा जी
- डॉ स्वामी अप्रतिमनंदा जी
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